महागुन सोसायटी में जो कुछ घटित हुआ उसने गेटेड सोसायटी और उनके बाहर बसी झुग्गी बस्तियों के बीच बढ़ते अलगाव और टकराव को तो उजागर किया ही, साथ ही घरेलू सहायिकाओं के साथ होने वाले बर्ताव की तरफ भी हमारा ध्यान खींचा है।
मध्य प्रदेश में छोटी सी झोपड़ी। 8-10 बल्लियों और घासफूस से बनी छत, दीवारें गायब, जमीन कच्ची। यह झोपड़ी ही पूरा प्राथमिक स्कूल है। 1 से 5 तक कक्षाएं यहां चल रही हैं। कुल 15 विद्यार्थी पढ़ते हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए 3 शिक्षक हैं। यह स्कूल है मोरूद गांव में। यह गांव हरसूद विधानसभा क्षेत्र में आता है। प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री विजय शाह यहां के विधायक हैं। वनग्राम मोरूद में 35 परिवार हैं, 150 लोग रहते हैं। इनके बच्चों के लिए यहां 2005 में सेटेलाइट स्कूल शुरू हुआ। इसे 2008 में प्राथमिक स्कूल का दर्जा मिला।
दिल्ली के बच्चे अपने शब्दों को संगीत की धुनों में पिरोकर लोगों के सामने पेश करने के लिए तैयार हैं। इनमें से अधिकतर बच्चे दिल्ली की झुग्गी बस्तियों के हैं। इस तरह के बच्चों का यह तीसरा वार्षिक संगीत कार्यक्रम है।
दिल्ली के आरके पुरम की झुग्गियों में रहने वाले फिरत ने पांच साल पहले इस उक्वमीद से राजीव आवास योजना के लिए आवेदन किया कि उसे रहने लिए एक घर मिल जाएगा। इसी तरह का दर्द कल्याणपुरी की झुग्गियों में रहने वाले महेश कुमार का है। यह दर्द केवल फिरत और महेश का ही दर्द नहीं है बल्कि दिल्ली के उन 16 लाख से अधिक उन आवेदकों का दर्द है जिनसे आवास के नाम पर पैसा तो जमा करा लिया गया लेकिन न तो ड्रा निकला और न ही आवंटन हुआ।
दिल्ली में शकूरबस्ती इलाके में रेलवे के अतिक्रमण हटाओ अभियान के समय हुई एक बच्ची की मौत के बाद केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने झुग्गियां तोड़ने के दौरान 6 महीने की बच्ची की मौत के मामले की जांच का आदेश दिया है। केजरीवाल ने भारी सर्दी में गरीबों को बेघर करने के रेलवे के अभियान को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है। उधर, भाजपा और कांग्रेस ने इस मामले पर केजरीवाल सरकार पर हमला बोल दिया है।