हाल ही में भारत में भी इंटरनेट तटस्थता पर ट्राई को पत्र लिखने वाले धनखल, ओडिशा से बीजू जनता दल के सांसद तथागत सत्पथी ने इस विषय पर आउटलुक हिंदी की फीचर संपादक आकांक्षा पारे काशिव से बात की।
बिलकुल तकनीकी लगने वाले शब्द नेट न्यूट्रेलिटी (नेट तटस्थता) का वास्ता आज हर भारतीय से पड़ गया है। टेलीकॉम अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने 27 मार्च 2015 को एक परामर्श पत्र जारी कर जनता से 20 सवालों पर राय मांगी थी।
फ्रांसीसी कारोबारी नेताओं ने मोदी के पूर्व दौर में आई दिक्कतों का जिक्र करते हुए स्पष्ट, पारदर्शी और स्थिर नियमों पर जोर दिया तथा भारत में निवेश में रूचि जताते हुए भारतीय कंपनियों के साथ विशेष क्षेत्रों में पांच कार्यबल गठित करने का निर्णय किया।
स्पेक्ट्रम नीलामी में आइडिया सेल्युलर के पास मौजूद 9 लाइसेंस क्षेत्रों रिलायंस टेलीकॉम और वोडाफोन दोनों के 7-7 लाइसेंस क्षेत्रों और भारती एयरटेल के 6 लाइसेंस क्षेत्रों के स्पेक्ट्रम शामिल हैं। इन क्षेत्रों में इन कंपनियों के लाइसेंस की मियाद 2015-16 में समाप्त हो रही है।
कॉरपारेट जासूसी का मामला रहस्यमयी होता जा रहा है। दिल्ली पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच अलग-अलग चल रही है और दोनों ही मामलों में कोई नतीजा सामने नहीं आ रहा है। संसद में मचे हंगामे के बाद सरकार का बयान भी आया कि अभी कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। इससे जाहिर है कि सरकार और जांच एजेसियों में तालमेल सही नहीं हो पाने के कारण किसी नतीजे पर पहुंच पाना मुश्किल दिख रहा है।
विभिन्न मंत्रालयों से गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने के मामले में पेट्रोलियम मंत्रालय एक और सख्त कदम उठाते ही जल्द ही कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों को मंत्रालय से हटा सकता है। इस मामले में कॉर्पोरेट घरानों के साथ कई गिरोहों की संलिप्तता और उनके उजागर होते कारनामों से सवाल उठने लगा है कि इसके पीछे असली खिलाड़ी कौन है? क्योंकि असल खिलाड़ी को लेकर रहस्य बना हुआ है।
गोपनीय दस्तावेज लीक मामले में कई नामी कंपनियों का नाम सामने आया हैं। शुक्रवार देर रात तक पांच और लोगों की गिरफ्तारी के साथ कुल 12 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है।