मुंबई पर आतंकी हमले का प्रमुख षडयंत्रकारी डेविड हेडली मौत की सजा से बचने के लिए 14 दिसंबर, 2009 को अमेरिकी जांच एजेंसी एफ.बी.आई. का सरकारी गवाह बन गया था। पांच साल पहले 18 मार्च 2010 को उसने अमेरिकी अदालत में अपना अपराध स्वीकार करते हुए बता दिया कि उसने पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आई.एस.आई. और लश्कर ए तैयबा के निर्देशों पर मुंबई में आतंकवादी हमले को अंजाम दिया तथा यूरोप में भी डेनिस अखबार के दफ्तर पर हमला करवाया।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बुधवार को अपने कार्यकाल का आखिरी 'स्टेट ऑफ द यूनियन' भाषण दिया। इस मौके पर उन्होंने इस्लामिक स्टेट और आतंकवाद को करार जवाब देने के दावे के साथ-साथ अपने कार्यकाल की नाकामी का जिक्र भी किया।
स्त्री अस्मिता को लेकर भारत में शुरू हुए स्त्रीवादी आंदोलनों और महिला अधिकारों की बहसों की शुरुआत के बाद से स्त्रीवादी कविता में उसके सरोकारों की भी बात होने लगी। हालांकि, उसके पहले भी स्त्रीवादी कविताएं लिखी जाती थीं, लेकिन तब उसमें स्त्री अधिकारों और सरोकारों की बातें कम होती थीं, स्त्री सौंदर्य और स्त्री प्रेम की बातें ज्यादा होती थीं।
सऊदी अरब में पहली बार एक महिला ने नगर परिषद चुनाव में जीत हासिल कर इतिहास रच दिया। सलमा बिन हिजब अल ओतीबी ने मक्का में मदरका की नगर निगम परिषद का चुनाव जीत कर अत्यंत रूढ़िवादी सऊदी अरब की पहली निर्वाचित महिला प्रतिनिधि बनने का गौरव हासिल किया है। यह पहला मौका है जब सऊदी में महिलाओं को मतदान करने और चुनाव लड़ने का अधिकार मिला। मताधिकार मिलने से उत्साहित सऊदी की महिलाओं के लिए नतीजे भी बेहद उत्साहजनक आए हैं।
आगरा में एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम के दौरान एक विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई जहां पंचायत चुनाव होने वाले हैं। यहां की पुलिस ने आचार संहिता के उल्लंघन का हवाला देते हुए शादी करने जा रहे 23 दूल्हों को जबरन घोड़ी से उतार दिया।
अमेरिका में एक बुजुर्ग सिख पर बर्बर हमले का मामला सामने आया है। यह घटना अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमलों की बरसी से कुछ दिन पहले हुई है। हमले में घायल हुए अमेरिकी सिख को हमलावर ने आतंकवादी और बिन लादेन कहकर पुकारा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नयान से वार्ता की, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, सुरक्षा और व्यापार तथा दोनों पक्षों द्वारा सामरिक रिश्तों को और उच्च स्तर पर ले जाने के संबंध में विचार-विमर्श हुआ।
पाकिस्तानी सूफी गायक अदील खान बर्की जब भी हिंदुस्तान आते हैं एक तकलीफ के साथ यहां से जाते हैं। बंटवारे के वक्त बर्की के बुजुर्गों को जालंधर से लाहौर पड़ा था। उनके दादा और वालिद की तमन्ना थी कि आखिरी वक्त में एक दफा वह जालंधर जरूर जाएं लेकिन वीजा की दिक्कतों के चलते उन्हें यह नसीब न हो सका। ऐसे में अदील खान के दादा और वालिद के खाक-ए-सुपुर्द होने के बाद उन्होंने उनकी कब्र पर कत्बा लगवाया, जिसपर लिखा ‘ए जालंधर की हवाओ अगर कभी इस तरफ से गुजरो तो कुछ देर इस कब्र पर ठहर जाना, तुम नहीं जानती कि मरने वाला तुम्हें कितना याद करता है क्योंकि तुम बदनसीब इंसानों की तरह वीजा की मोहताज नहीं हो।’ इस दफा जब अदील खान हिंदुस्तान आए तो आउटलुक की विशेष संवाददाता ने उनसे विशेष बातचीत की-