एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद उम्मीदवार घोषित रामनाथ कोविंद को समर्थन देने के बाद जेडीयू और आरजेडी में जुबानी जंग तेज हो गई है। दोनों ही पार्टियों के नेता एक दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे हैं।
भाजपा के राष्ट्रपति पद के लिए दलित कार्ड खेलने के बाद विपक्षी दलों ने अपना रूख साफ करना शुरू कर दिया है। बसपा का कहना है कि अगर कोई दलित उम्मीदवार मैदान में नहीं आता है तो वह रामनाथ कोविंद का समर्थन कर सकती है।
अगर बिहार और दूसरे राज्यों की सरकारें वास्तव में शिक्षा को लेकर गंभीर हैं तो सिर्फ दंडात्मक कार्यवाही और जबानी जमा खर्च से काम नहीं चलेगा। उन्हें सकारात्मक कदम भी उठाने होंगे।
हरियाणा पुलिस ने 15 दलित एक्टिविस्टों पर ‘राजद्रोह’ का केस दर्ज किया है। इसमें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले दो छात्र भी शामिल हैं। इन पर सरकार के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप है।
देश में आए दिन महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और गैंगरेप की घटनाएं सुनने और पढ़ने को मिलती है। एक ऐसी ही घटना कर्नाटक की है, जहां गैंगरेप का शिकार हुई एक दलित छात्रा ने इंसाफ की गुहार लगाई है। इस संबंध में पीड़िता ने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा है।
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव आज एक बार फिर दलितों के घर खाना खाने को लेकर भाजपा नेताओं पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भाजापा नेता दलित के घर जाकर तो खाना खा रहे हैं, लेकिन उनके साथ नहीं खा रहे हैं।
आज दलित समुदाय हर दृष्टि से चौराहे पर खड़ा है। कई दशक बाद दलित राजनीति लगभग हाशिए पर पंहुच गई है। दलित जन प्रतिनिधियों से दलित समुदाय एकदम निराश है। वे समुदाय पर होने वाले अत्याचार के मसलों पर कुछ नहीं बोलते हैं। अब दलित समाज में उन्हें खुले मंचों से पूना पैक्ट की खरपतवार कहना शुरू कर दिया है।