इस्लामी शिक्षा के बड़े संस्थान में उर्दू-अरबी और फारसी की पुरानी रचनाओं का होना कोई बडी बात नहीं। लेकिन इस्लाम से संबंधित पुस्तकों के जखीरे में संस्कृत में रचित ऋगवेद से लेकर रामायण व भगवत गीता को करीने से संजोकर रखा जाए तो यह काफी रोचक बात है। देवबंद के मशहूर इस्लामी शिक्षा केन्द्र दारूल उलूम में ये प्राचीन हिन्दू धार्मिक ग्रंथ कुरान समेत मजहबी इस्लामी शिक्षा से जुड़ी पुस्तकों के साथ प्रमुखता से उसके पुस्तक खजाने का हिस्सा हैं।
देश में भारत माता की जय का नारा लगाने को लेकर उठे विवाद के बीच इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारूल उलूम देवबंद ने मुस्लिमों को भारत माता की जय बोलने से परहेज करने की हिदायत दी है क्योंकि यह मूर्ति पूजा के समान है, जिसकी इस्लाम में इजाजत नहीं है। दारुल उलूम के इस फतवे पर भाजपा और शिवसेना ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।