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जुकरबर्ग के इन जवाबों में मिली फेसबुक के भविष्‍य की झलक

जुकरबर्ग के इन जवाबों में मिली फेसबुक के भविष्‍य की झलक

दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक के संस्‍थापक मार्क जुकरबर्ग आज आईआईटी-दिल्‍ली के छात्रों से रूबरू हुए। इस दौरान आयोजित एक गोष्‍ठी में उन्‍होंने देश भर से पूछे गए सवालों के जवाब दिए। जुकरबर्ग की इन बातों में इंटरनेट और सोशल मीडिया को लेकर फेसबुक की भावी रणनीति की झलक देखी जा सकती है। जानिए, इस बार भारत को क्‍या बताकर गए जुकरबर्ग
राजेंद्र राव की कहानी 'दोपहर का भोजन'

राजेंद्र राव की कहानी 'दोपहर का भोजन'

राजेंद्र राव शिक्षा और पेशे से भले ही इंजीनियर रहे हों, मगर उनका मन सदैव साहित्य और पत्रकारिता में ही रमा रहा । तकनीकी और प्रबंधन के क्षेत्र में काफी समय बिताने के बाद अवसर मिलते ही साहित्यिक पत्रकारिता में आ गए। कृतियों में एक उपन्यास, सात कथा संकलन और कथेतर गद्य के बहुचर्चित संकलन उस रहगुजर की तलाश है । संप्रति दैनिक जागरण में साहित्य संपादक।
1930 जैसी महामंदी का खतरा: रघुराम राजन

1930 जैसी महामंदी का खतरा: रघुराम राजन

वर्ष 2008 की वैश्विक मंदी की सटीक भविष्‍यवाणी करने वाले अर्थशास्‍त्री और आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने चेतावनी दी है कि विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था के सामने 1930 जैसी महामंदी का खतरा पैदा हो सकता है।
राष्‍ट्रपति के इंटरव्‍यू से बोफोर्स का जिक्र हटवाने की कोशिश

राष्‍ट्रपति के इंटरव्‍यू से बोफोर्स का जिक्र हटवाने की कोशिश

मना करने के बावजूद राष्‍ट्रपति के मुहं से अनायास निकली बात के प्रकाशन को लेकर भारत ने स्‍वीडिश दैनिक से कड़ा विरोध दर्ज कराया है। स्‍वी‍डन में भारतीय राजदूत के जरिए बोफोर्स सौदे से जुड़ी बातों को छपने से रोकने की कोशिश की गई थी, लेकिन अखबार ने इसे नजरअंदाज किया।
कहानी - भेड़िया

कहानी - भेड़िया

दिल्ली में जन्मी योगिता यादव का पहला कहानी संग्रह भारतीय ज्ञानपीठ के आठवें नवलेखन पुरस्कार से सम्मनित किया गया और बाद में वहीं से प्रकाशित हुआ। कहानी झीनी झीनी रे चदरिया को अपने खास शिल्प के कारण आठवें अखिल भारतीय कलमकार कहानी प्रतियोगिता में दि्वतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। उन्हें जम्मू कश्मीर के विशेष सांस्कृतिक अध्ययन के लिए संस्कृति मंत्रालय से जूनियर फैलोशिप मिल चुकी है। वह पिछले 13 सालों से पत्रकारिता में भी सक्रीय हैं। फिलवक्त दैनिक जागरण के जम्मू संस्करण में कार्यरत।
क्‍यों संभव नहीं है भूकंप की भविष्‍यवाणी

क्‍यों संभव नहीं है भूकंप की भविष्‍यवाणी

भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि जिन आंतरिक प्रक्रियाओं से पृथ्‍वी का निर्माण हुआ है, वहीं भूकंप का कारण हैं। भूकंप सदियों से आ रहे हैं और आगे भी आते रहेंगे। इसकी भविष्‍यवाणी संभव नहीं है। हमें भूकंप के साथ जीना सीखना होगा।
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