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पर्यावरण मंत्रालय में भी कॉरपोरेट जासूस

पर्यावरण मंत्रालय में भी कॉरपोरेट जासूस

दिल्ली पुलिस ने कॉरपोरेट जासूसी मामले में दो और लोगों को गिरफ्तार किया है। संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) रविंद्र यादव ने बताया, वन और पर्यावरण मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पीएस जितेंद्र नागपाल और यूपीएससी के एक सदस्य के पीए विपन कुमार को गिरफ्तार किया गया है।
गोपनीय दस्तावेजः टैक्सी चालकों की भूमिका घेरे में

गोपनीय दस्तावेजः टैक्सी चालकों की भूमिका घेरे में

गोपनीय दस्तावेज लीक मामले में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में पुलिस को कई अहम तथ्यों का पता चला है। सूत्रों के मुताबिक विभिन्न मंत्रालयों के कई अधिकारी सरकारी वाहन की बजाय किराए की टैक्सियों में चलना ज्यादा पसंद करते हैं।
महान कोल ब्लॉक का काम रुकेगा?

महान कोल ब्लॉक का काम रुकेगा?

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय मध्यप्रदेश के महान कोल ब्लॉक को दूसरे चरण की मंजूरी देने के पक्ष में नहीं है। यह जानकारी इलाक़े में सक्रिय पर्यावरणवादी संगठन ग्रीनपीस इंडिया ने एक आरटीआइ के ज़रिये हासिल की है। इस ख़बर के मिलने के बाद संगठन की ऐक्टिविस्ट प्रिया पिल्लई ने इसे आंदोलन की जीत बताया है।
रक्षा मंत्रालय में भी जासूसी

रक्षा मंत्रालय में भी जासूसी

जासूसी कांड में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। देश की सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण मंत्रालय रक्षा मंत्रालय में भी अब जासूसी हो रही है। सोमवार देर रात दिल्ली पुलिस ने रक्षा मंत्रालय के एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को गिरफ्तार किया है।
मतंग सिंह का जलवा है कायम

मतंग सिंह का जलवा है कायम

भले ही शारदा चिंट फंड घोटाले में पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह को सीबीआई ने हिरासत में लिया हो लेकिन संबंधों के चलते उनका जलवा आज भी कायम है।
पेट्रोलियम मंत्रालय से हटाए जाएंगे सौ कर्मचारी

पेट्रोलियम मंत्रालय से हटाए जाएंगे सौ कर्मचारी

विभिन्न मंत्रालयों से गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने के मामले में पेट्रोलियम मंत्रालय एक और सख्त कदम उठाते ही जल्द ही कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों को मंत्रालय से हटा सकता है। इस मामले में कॉर्पोरेट घरानों के साथ कई गिरोहों की संलिप्तता और उनके उजागर होते कारनामों से सवाल उठने लगा है कि इसके पीछे असली खिलाड़ी कौन है? क्योंकि असल खिलाड़ी को लेकर रहस्य बना हुआ है।
खाक हो चुकी नौका पर विवाद जारी

खाक हो चुकी नौका पर विवाद जारी

पाकिस्तान की तरफ से 31 दिसंबर 2014 की रात भारतीय सीमा में प्रवेश करने वाली रहस्यमय नौका को लेकर नौसेना अधिकारियों और भारत सरकार के विवादास्पद बयानों से रहस्य और गहराता जा रहा है।
कॉरपोरेट हवस से कैसे बचे लोकतंत्र?

कॉरपोरेट हवस से कैसे बचे लोकतंत्र?

कॉरपोरेट लॉबींग और सरकारी नीतियों को अपने पक्ष में मोड़ने का एक और बड़ा मामला सामने आया है। साल 2010 में कॉरपोरेट लॉबीस्ट नीरा राडिया के टेप के बाहर आने पर कॉरपोरेट, मीडिया, नौकरशाही और राजनीति के गठजोड़ से बड़े पैमाने पर पर पर्दा हटते दिखा था। उसी तरह पेट्रोलियम मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेज़ों को हासिल करने में बड़े कॉरपोरेट समूहों ने किस तरह के हथकंडे अपनाये यह अब सामने आ चुका है।
सरकार ही छाप रही थी नकली नोट

सरकार ही छाप रही थी नकली नोट

भारतीय मुद्रा की छपाई के दौरान हुई सुरक्षा लापरवाही के मामले को दबाते हुए वित्त मंत्रालय ने अंदरखाने जांच भी शुरू कर दी लेकिन इस बात की किसी को भनक तक नहीं लग पाई। समाचार चैनल सीएनएन आईबीएन के हाथ लगी मामले की जांच रिपोर्ट सामने आई है। यह मामला पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौर का है।
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