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Search Result : "निर्मला सीतारमण होशियारपुर"

सेवा की जीवंत मिसाल थीं सिस्टर निर्मला

सेवा की जीवंत मिसाल थीं सिस्टर निर्मला

नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा के बाद मिशनरीज आफ चैरिटी का काम-काज संभालने वाली सिस्टर निर्मला जोशी का पूरा जीवन गरीबों और समाज के पिछड़े तबके के लोगों के उत्थान के प्रति ही समर्पित रहा। प्रचार और सुर्खियों से कोसों दूर रहने वाली सिस्टर निर्मला में प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सच के साथ खड़े रहने का साहस था। उन्होंने कभी किसी गलत आरोप या अफवाह के सामने सिर नहीं झुकाया। बातचीत में तो इतनी विनम्र कि एकबार उनसे मुलाकात करने वाला उनका मुरीद बन जाता था।
शौरी के शोर से सकते में भाजपा

शौरी के शोर से सकते में भाजपा

वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे अरूण शौरी द्वारा नरेन्द्र मोदी सरकार पर करारा प्रहार करने और उनकी आर्थिक नीतियों को दिशाहीन बताने को गलत बताते हुए भाजपा ने बचाव करते हुए आज कहा कि पूर्व मंत्री की टिप्पणियां निराशजनक तथा मोदी के प्रति कठोर हैं।
ई-कॉमर्स और सेवाओं के जरिये निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य

ई-कॉमर्स और सेवाओं के जरिये निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य

केंद्र सरकार ने बुधवार को जिस नई विदेश व्यापार नीति की घोषणा की है उसमें अगले पांच वर्षों में निर्यात को दोगुना कर 900 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। नई नीति में कृषि उत्पादों के निर्यात को अधिक प्रोत्साहनों की घोषणा की गई है।
शांति के पासे फेंकने की जरूरत

शांति के पासे फेंकने की जरूरत

निर्मला देशपांडे की पाकिस्तान में बरसी से उठी ये सदाएं मनमोहन सिंह पहुंची या यह उनकी अंत: प्रेरणा थी अथवा अमेरिकी उत्प्रेरणा, जैसा कि कुछ लोग विश्‍वास करना चाहते हैं, शर्म अल शेख के संयुक्त वक्तव्य में ब्लूचिस्तान के जिक्र के लिए राजी होकर और भारत-पाक समग्र वार्ता के लिए भारत में आतंकवादी हमले रोकने की पूर्व शर्त को ढीला करके भारतीय प्रधानमंत्री ने शांति के लिए एक जुआ खेला है। मुंबई हमले के बाद दबाव की कूटनीति से भारत को जो हासिल होना था वह हो चुका और पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकतंत्र के खिलाफ अपेक्षया गंभीर कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ा। दबाव की कूटनीति की एक सीमा होती है और विनाशकारी परमाणु युद्ध कोई विकल्प नहीं हैं। इसलिए वार्ता की कूटनीति के लिए जमीन तैयार करने की जरूरत थी। ब्लूचिस्तान के जिक्र को भी थोड़ा अलग ढंग से देखना चाहिए।