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श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने ठुकराया बातचीत का सुझाव

श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने ठुकराया बातचीत का सुझाव

अयोध्या के विवादित स्थल के मुद्दे को बातचीत के जरिये सुलझाने के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव को श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने ठुकराते हुए आज कहा कि मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों का प्रतिनिधिमंडल इस सिलसिले में जल्द ही प्रधानमंत्री से मिलकर बातचीत करेगा।
भाजपा गाय को कटवाकर 'रामराज्य' की स्थापना कर रही : संत गोपाल दास

भाजपा गाय को कटवाकर 'रामराज्य' की स्थापना कर रही : संत गोपाल दास

गोरक्षा आंदोलन के अध्यक्ष संत गोपाल दास ने कहा कि आज भी हर दिन 72 हजार गायें कट रही हैं। भाजपा गाय को कटवाकर 'रामराज्य' की स्थापना कर रही है। सरकार अगर उनकी रक्षा पर कारगर कदम नहीं उठाई तो राजनीतिक आंदोलन किया जाएगा। गोपालदास का कहना था कि सरकार चंदे से लड़े चुनाव के बाद गाय की रक्षा करना भूल गई है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इस शीत सत्र में सरकार ने गो हत्या निरोधक कानून लाकर पास नहीं किया तो 7 नवंबर को गोपाष्टमी के दिन गायों को बचाने के लिए आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।
सबसे बड़े सांस्कृतिक, आध्यात्मिक सम्मेलन के पीछे का सच

सबसे बड़े सांस्कृतिक, आध्यात्मिक सम्मेलन के पीछे का सच

ढोल, मृदंग, वीणा, हारमोनियम, तबला, बांसुरी सहित करीब चालीस से अधिक वाद्य यंत्रों की एक साथ गूंज के साथ नृत्य, शांति, ध्यान और अन्य कलाओं की प्रस्तुति पूरी दुनिया के लिए एक आकर्षण होगी। इस आकर्षण का हिस्सा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश दुनिया की जानी-मानी हस्तियां भी होगी। आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर की संस्था 'द आर्ट ऑफ लिविंग’ की ओर से आयोजित होने जा रहे दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक, सांस्कृतिक सम्मेलन में 155 से अधिक देशों के कलाकार भी भाग ले रहे हैं। भारत में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सम्मेलनों का आयोजन तो समय-समय पर होता रहा है लेकिन अपने तरह के अनूठे कार्यक्रम के आयोजन पर लोगों की खास नजर भी है। क्योंकि भारत में आध्यात्मिक आयोजन के पीछे कोई न कोई राजनीतिक मंशा भी छिपी रहती है। हाल ही में श्रीश्री रविशंकर को पद्म विभूषण सम्मान से सरकार ने सम्मानित भी किया। हालांकि इससे पहले श्रीश्री ने यह पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया था।
तान और तरानों में ‘संतोष’ का ‘आनंद’

तान और तरानों में ‘संतोष’ का ‘आनंद’

कभी संजीदगी, कभी खिलखिलाहट और कभी आंखों से बहते हुए आंसू। कलाकारों की बांसुरी और उनकी आवाज से अपने नगमों को सुनकर नामचीन गीतकार संतोष आनंद के चेहरे पर कई भाव आ और जा रहे थे। पूरी महफिल उन्हें खुश होते देखकर खुश होती थी और उन्हें गमगीन देखकर रो पडती, लेकिन सबको खुशी इस बात की थी कि ठीक एक साल पहले अपने बेटे और बहू की असामयिक मौत के गम को पीछे छोड़ते हुए वह अपनी जिंदगी में आगे की ओर बढ़े रहे हैं।
गठला – आत्माओं का स्थायी पता

गठला – आत्माओं का स्थायी पता

मध्य भारत के भील आदिवासियों की संस्कृति में ऐसा माना जाता है कि मृत और जीवित आत्माएं एक ही साथ एक ही क्षेत्र में निवास करती हैं। मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान के इलाकों में पाई जाने वाली इस भील जाति से जुड़ी ऐसी ही कई अन्य परंपराओं और रीति-रिवाजों को विक्रम मोहन ने एक समकालीन नृत्य नाटिका में समेटा है। उन्होंने इसका नृत्य निर्देशन भी किया है।
विकलांग बच्चियों की मदद के लिए बरखा बहार

विकलांग बच्चियों की मदद के लिए बरखा बहार

बेटी बचाओ के जज्बे के साथ बरखा बहार नाम से एक संगीतमय समारोह का आयोजन नंदिनी फाउंडेशन और पीपल फर्स्ट की ओर से दिल्ली के मुक्तधारा ऑडिटोरियम में किया गया। समारोह में गायिका मंदाकिनी बोरा के सावन पर गाए गीतों और सुफियाना गीतों ने लोगों को झूमने और तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। लोक गायिका पूजा झा के गीत भी लोगों को खूब पसंद आए।
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