नेपाल की भ्रष्टाचार रोधी शाखा ने डाबर के नेपाल में बने रियल जूस के 77 कंटेनर जब्त कर लिए हैं। डाबर के इस प्रोडक्ट की गुणवत्ता के बारे में शिकायतों के बाद यह कार्रवाई हुई है।
लोकसभा में आज विभिन्न दलों के सदस्यों ने मांग की कि देश के मंदिरों, वक्फ बोर्डों और विभिन्न ट्रस्टों के पास पड़ी हजारों करोड़ की संपदा का इस्तेमाल समाज कल्याण योजनाओं में किया जाय। यही नहीं सरकार ट्रस्टों समेत देश में कार्यरत एनजीओ सेक्टर की लगातार निगरानी सुनिश्चित करे।
नेपाल की स्वायत्तता में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से इंकार करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को कहा है कि उन्होंने पड़ोसी देश के विदेश मंत्री तथा मधेसी नेताओं को परस्पर वार्ता के जरिए स्थिति का समाधान खोजने की सलाह दी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि एक हफ्ते में स्थिति में सुधार होगा और आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति बहाल हो जाएगी। साथ ही उन्होंने नेपाल में संसदीय दल भेजने पर भी सहमति जताई।
नेपाल में चल रहे मधेशी आंदोलन को लेकर राजनीतिक दलों रूख भले ही लचर हो रहा है लेकिन मधेशी नेताओं की मानें तो सरकार पूरी तरह से उनकी मांगों को मानने के लिए तैयार नहीं हैं।
फिल्म निर्माता ओनिर इस बात से दुखी हैं कि सेंसर बोर्ड ने उनकी फिल्म चौरंगा के कुछ दृश्य काट दिये हैं हालांकि उनके अनुसार मनोरंजन के नाम पर कई बार अधिक प्रतिगामी सामग्री को पास कर दिया जाता है।
नेपाल में उग्र होते मधेसी आंदोलन के बीच भारत को झटका देने वाली दो खबरें अाई हैं। मिली जानकारी के अनुसार, नेपाल में सभी भारतीय न्यूज चैनलों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है। जबकि दूसरी तरफ भारत-नेपाल सीमा पर 13 भारतीय सुरक्षाकर्मियों को नेपाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया हालांकि इन्हें बाद में रिहा कर दिया गया।
वैष्णो देवी मंदिर बोर्ड ने नागर विमानन नियामक (डीजीसीए) को कटरा से सांझी छत के बीच हेलीकॉप्टर सेवा की सुरक्षा जांच करने को कहा है। गत सोमवार को यहां एक हेलीकॉप्टर हादसे में महिला पायलट समेत छह तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी।
दक्षिणी नेपाल में एक प्रमुख राजमार्ग पर मधेसी प्रदर्शनकारियों की नाकेबंदी को हटाने की कोशिश में सुरक्षाकर्मियों के गोली चलाने से कम से कम 4 व्यक्ति मारे गए और कई घायल हो गए। चार मधेसी पार्टियों को मिलाकर बने मधेसी मोर्चे और सरकार के बीच संविधान संशोधन पर वार्ता असफल रहने के बाद नेपाल में फिर हिंसा भड़क उठी है।
रिसर्जेंट राजस्थान पार्टनरशिप सम्मिट में देश दुनिया के धनकुबेरों का दो दिवसीय मिलन जयपुर में हुआ। राजस्थान सरकार द्वारा पूंजी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से किए गए इस आयोजन में 300 निवेश करार हुए जिनसे 4 लाख करोड़ का निवेश राज्य में आने की संभावना बनती दिखाई दे रही है। इतना ही नहीं बल्कि इससे ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलने का भी दावा किया जा रहा है। अनुमान है कि रिसर्जेंट राजस्थान के इस आयोजन पर राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपये खर्च किया है। यह खर्च है कोई निवेश नहीं है। जनता की गाढ़ी कमाई का यह पैसा सिर्फ मेहमान नवाजी पर ही खर्च हो गया है। जयपुर की जनता को दो तीन दिन जो असुविधाएं झेलनी पड़ी वह तो अलग ही हैं। लोग पूछ रहे हैं कि जिस मुख्यमंत्री को अपने राज्य की जनता से मिलने तक कि फुर्सत नहीं होती है, कभी-कभार ही सभाओं में उनके दर्शन हो पाते हैं, वह पूंजीपतियों के मध्य कितनी आसानी से उपलब्ध हैं। यह अवसर राजस्थान के उन मतदाताओं को क्यों नहीं मिल पाता है जिन्होंने वोट दे कर प्रचंड बहुमत से उनकी सरकार चुनी है।