पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में कथित पुलिस मुठभेड़ में मारी गई आदिवासी युवती के मामले को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सोमवार को बिलासपुर उच्च न्यायालय में प्रारंभिक सुनवाई हुई।
भारतीय क्रिकेट टीम के जिम्बाब्वे दौरे के दौरान रविवार को उस समय एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब दो व्यक्तियों को कथित बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया। हालांकि अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि कोई भी भारतीय क्रिकेटर इस मामले में शामिल नहीं है।
स्थापित प्रक्रिया से अलग हटते हुए सरकार ने उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम की एक सिफारिश को उसे दोबारा वापस भेज दिया है। भारत के प्रधान न्यायाधीश टी. एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाला कॉलेजियम दोनों बार सरकार की आपत्तियों को नामंजूर करते हुए पटना उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त करने की अपनी सिफारिश पर कायम है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर ने कहा है कि न्यायपालिका तभी हस्तक्षेप करती है जब कार्यपालिका अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में विफल हो जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह बलात्कार पीड़ितों को पर्याप्त राहत मुहैया कराने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाए। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि निर्भया कोष जैसा एक अलग कोष बनाना पर्याप्त नहीं है और यह जुबानी जमाखर्च जैसा है।
अनुराग ठाकुर (41) आज बीसीसीआई की विशेष आम बैठक में सर्वसम्मति से बोर्ड के अध्यक्ष चुने गए जबकि अजय शिर्के को सचिव चुना गया है। ठाकुर स्वतंत्रता के बाद सबसे कम उम्र के बीसीसीआई अध्यक्ष बन गए हैं, यह चुनाव ऐसे समय में हुआ जब दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड उतार-चढाव के दौर से गुजर रहा है।
रविवार को बीसीसीआई की आम बैठक में सचिव अनुराग ठाकुर को अध्यक्ष चुन लिया गया। महज 41 साल में दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड की कमान संभालने के बाद अनुराग ठाकुर के सामने सबसे बड़ी चुनौती सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जस्टिस आर. एम. लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करना होगा। समिति ने बीसीसीआई में क्रांतिकारी सुधारों की सिफारिश की है।
मालेगांव विस्फोट मामले में क्रूर प्रताड़ना के बाद आखिरकार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को क्लीन चिट मिल गई है। मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने शुक्रवार को मुंबई की एक अदालत में दायर होने वाली चार्जशीट में साध्वी का नाम नहीं दिया है। इससे उनके जल्द जेल से रिहा होने की उम्मीद है।
उत्तराखंड में कांग्रेस के नौ अयोग्य घोषित किए गए बागी विधायकों के भाग्य को लेकर अनिश्चितता बरकरार है क्योंकि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर नौ मई तक अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के जंगलों में लगी आग के मुद्दे पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि वह यह देखकर स्तब्ध है कि हर कोई मुद्दे को इतने हल्के तरीके से ले रहा है। एनजीटी ने दोनों राज्यों की सरकारों को नोटिस जारी किया।