करगिल की चोटी से 'ये दिल मांगे मोर’ का नारा देने वाले शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा का परिवार आज न्याय के लिए सरकारी तंत्र का चक्कर लगा रहा है। कैप्टन विक्रम बत्रा ने देश की जमीन को बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी लेकिन आज उनका परिवार अपनी ही जमीन पाने के लिए भू-माफिया से जूझ रहा है। कैप्टन विक्रम बत्रा के परिवार के संघर्ष में न तो सरकार का सहयोग मिल रहा है और न प्रशासन का। रोचक तथ्य तो यह है कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर रक्षामंत्री तक गुहार लगाने वाले इस परिवार की सुध लेने से भी मध्य प्रदेश सरकार गुरेज कर रही है।
जघन्य अपराध के मामले में किशोरों के खिलाफ वयस्क की तरह मुकदमा चलाने के लिए उनकी आयु सीमा 16 साल से कम करने के प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी दे दी है लेकिन अब इस प्रस्ताव की आलोचना की जा रही है।
देश भर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर ग्रीनपीस इंडिया पर हो रहे सरकारी दमन की निंदा की। सरकार के दमन की कार्रवाई के खिलाफ 180 संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है। पत्र में सामाजिक न्याय और गरीब-मजलूमों के अधिकार के लिये आंदोलन का इतिहास रखने वाले संगठनों पर हो रही दमन की कार्रवाई को शर्मनाक और निराशाजनक कहा है।
21 अप्रैल को आखा तीज यानी अक्षय तृतीया का अबूझ सावां बीत गया। अबूझ सावां मतलब हिंदु विवाह का सर्वव्यापी शुभ लग्न। कहते हैं, इस दिन विवाह के लिए मुहर्त निकालने या जन्मकुंडली मिलान की जरूरत नहीं पड़ती। अक्षय तृतीया को आरंभ विवाह का शुभ काल पीपल पून्यो यानी पीपल पूर्णिमा तक 12 दिन रहता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत में वैश्विक विनिर्माणकार्य का केंद्र बनने की भारी क्षमता है और उन्होंने दुनिया को सबसे तीव्र गति से वृद्धि कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ भागीदारी करने के लिए आमंत्रित किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश में अल्पसंख्यकों को विश्वास दिलाया है कि भारत में सभी धर्मों के नागरिकों के अधिकारों और उनकी स्वतंत्रता की रक्षा की जाएगी और उनके लिए समान दर्जा सुनिश्चित किया जाएगा।
भाजपा सरकार आने के बाद पहले जजों की नियुक्ति का कानून बदला गया, फिर आई न्यायपालिका को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नसीहत। इन दोनों बातों ने बरबस चार दशक पहले के भारतीय इतिहास के घाव हरे कर दिए।
मध्यप्रदेश में पिछले 8-10 सालों में कई मंत्रियों, विधायकों एवं बड़े अधिकारियों के खिलाफ न्यायालय में भ्रष्टाचार, अनियमितता और अन्य मामले चल रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ पहले भी डंपर मामला चल चुका है और अब उन पर व्यापमं घोटाले में उनकी संलिप्तता का आरोप विपक्षी दलों सहित सामाजिक कार्यकर्ता लगा रहे हैं।