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अजय सिंह की पुस्तक का लोकार्पण

अजय सिंह की पुस्तक का लोकार्पण

अजय सिंह की कविताएं भारतीय लोकतंत्र की विफलता को पूरी शिद्दत से प्रितिबिंबित करती हैं। उनकी कविताओं का मूल स्वर स्त्री, अल्पसंख्यक और दलित हैं।
मूर्ख दिवस - कॉमेडी नाईट्स की दादी ने जमाया रंग

मूर्ख दिवस - कॉमेडी नाईट्स की दादी ने जमाया रंग

अंतरराष्ट्रीय मूर्ख दिवस के मौके पर उज्जैन के कालिदास अकादमी के मुक्ताकाशी रंगमंच पर 45 वें अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन का भव्य आयोजन हुआ। इसमें टीवी के जाने-माने हास्य अभिनेता अली असगर ने शिरकत की। इन्होंने दादी की वेशभूषा में मंच से दर्शकों को खूब हंसाया।
बलात्कारियों के पक्ष में फिर एक मंत्री

बलात्कारियों के पक्ष में फिर एक मंत्री

राजनीतिक नेताओं द्वारा बलात्कार के लिए खुद महिलाओं को दोषी ठहराने की परंपरा में गोवा के मंरी दीपक धावलीकर का नाम भी जुड़ गया है। महिलाविरोधी चिंतन की कितना हावी है कि खुलकर महिला को ही अपने ऊपर होने वाली हिंसा के लिए दोषी ठहराया जाता है।
स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देगी सरकार: शर्मा

स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देगी सरकार: शर्मा

पर्यटन और संस्कृति ऐसे विभाग हैं, जिनमें अपार संभावनाएं हैं। कई क्षेत्र हैं, जिन्हें पर्यटकों के लिए विकसित किया जा सकता है। संस्कृति के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति को विश्व मानचित्र पर उकेरा जा सकता है। नई सरकार में इस क्षेत्र में कई काम हो रहे हैं। इसी से संबंधित राज्यमंत्री संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार) एवं नागरिक उड्डयन मंत्रालय के राज्य मंत्री महेश शर्मा ने आउटलुक से बातचीत की।
वीआईपी संस्कृति में मेरा विश्वास नहीं: फडणवीस

वीआईपी संस्कृति में मेरा विश्वास नहीं: फडणवीस

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को उनके काफिले का रास्ता बनाने के लिए पुलिसकर्मियों द्वारा वाहनों को रोके जाने के कारण लोगों को हुई परेशानी पर दुख जाहिर किया है और कहा है कि वह वीआईपी संस्कृति से बचते हैं।
पश्चिमी देशों में बन रहे हैं आइएस के आतंकी

पश्चिमी देशों में बन रहे हैं आइएस के आतंकी

आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी लड़ाके सीरिया और इराक के लिए रवाना हो रहे हैं। ऐसा करने वाले दुनिया के करीब 20,000 लड़ाकों में से 3,400 तो पश्चिमी देशों के हैं।
एक ही सिक्का संस्कृति का

एक ही सिक्का संस्कृति का

धर्म, आस्था, बाजार, स्त्री यौनिकता और संस्कृति- इन तमाम पहलुओं पर प्रतिगामी और प्रगतिशील सोच में टकराहट तेज हुई है। आक्रामकता, धर्मांधता, अंधविश्वास, बहुसंख्यकवाद और स्त्री विरोधी चेतना का क्रमश: बोलबाला हो रहा है।