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फिल्म समीक्षा: लड़कों का पोस्टर चल जाएगा

फिल्म समीक्षा: लड़कों का पोस्टर चल जाएगा

जब बॉक्स ऑफिस पर दो फिल्में टकराती हैं तो सबसे बड़ा सवाल होता है, कमाई कौन करेगा। कमाई का तो पता नहीं पर दर्शक डैडी के बजाय पोस्टर बॉएज देखना ज्यादा पसंद करेंगे यह कहा जा सकता है।
फिल्म समीक्षा : दाउद वर्सेज डैडी

फिल्म समीक्षा : दाउद वर्सेज डैडी

मुंबइया फिल्म उद्योग का पसंदीदा विषय है, गैंगवार, गैंगस्टर, भाई लोग। घूम फिर कर निर्माता-निर्देशक हर कुछ साल में इस विषय पर आ ही जाते हैं।
दिल्ली के पुस्तक मेले में आकर्षण का केंद्र बनीं धार्मिक किताबें

दिल्ली के पुस्तक मेले में आकर्षण का केंद्र बनीं धार्मिक किताबें

दिल्ली पुस्तक मेले में इस बार धार्मिक किताबों से संबंधित 20 से भी अधिक स्टॉल लगाए गए हैं। इन स्टाल्स में पुस्तक प्रेमियों के लिए मोक्ष, मानसिक शांति से जुड़ी ढेरों किताबें रखी गई हैं।
फिल्म समीक्षा: सपनों की लिपस्टिक

फिल्म समीक्षा: सपनों की लिपस्टिक

लिपस्टिक अंडर माय बुर्का की चर्चा लंबे समय से थी। इसमें फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी का भी बहुत बड़ा हाथ रहा है। उन्होंने इस फिल्म में इतने कट सुझाए थे कि फिल्म की रील छलनी की तरह ही निकल कर आती।
फिल्म समीक्षा: ट्यूबलाइट फ्यूज

फिल्म समीक्षा: ट्यूबलाइट फ्यूज

भाई की फिल्म को हल्के में लेने का नहीं। भाई जो भी करते हैं कमाल करते हैं। इसलिए भाई ने पकाया भी तो कमाल पकाया है। ईद के मौके पर सई काम तो येई रेगा कि भाई लोग अपने-अपने रिस्तेदारों के घर पे जाके ईद की सिवइयां खाके के गले मिलें और खान बंधुओं को अकेला छोड़ दें।
जानिए किस पुस्तक का हुआ पोस्टर लॉन्च

जानिए किस पुस्तक का हुआ पोस्टर लॉन्च

अमीश की पुस्तक का पोस्टर ही नहीं ट्रेलर भी लॉन्च होगा। वह संभवतः भारत के पहले ऐसे लेखक हैं, जिन्हें प्रकाशक ने पांच करोड़ रुपये अग्रिम भुगतान कर दिया था, जबकि उन्होंने पुस्तक के बारे में सोचना भी शुरू नहीं किया था
महाराष्ट्र में 'किताब गांव' बनने की कहानी

महाराष्ट्र में 'किताब गांव' बनने की कहानी

सतारा जिले का एक गांव स्ट्रॉबेरी के लिए काफी लोकप्रिय है लेकिन अब यह गांव किताबों के कारण भी लोकप्रिय होने जा रहा है। दरअसल इस गांव को भारत का पहला किताबों का गांव वाला टैग मिलने वाला है।
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