कुल 33 लघु एवं मझोले उपक्रमों की कारोबारी विस्तार तथा कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की योजना है। इन कंपनियों का बीएसई के एसएमई प्लेटफार्म पर सूचीबद्ध होने का इरादा है। इनका आईपीओ आगामी महीनों में आ सकता है।
विनिर्माण तथा पूंजी वस्तु उत्पादन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन से औद्योगिक उत्पादन अप्रैल माह में एक साल पहले की तुलना में 0.8 प्रतिशत घट गया। औद्योगिक उत्पादन में तीन महीने में यह पहली गिरावट है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी है। औद्योगिकी उत्पादन सूचकांक :आईआईपी: के संदर्भ में मापा जाने वाले औद्योगिक उत्पादन में पिछले वर्ष अप्रैल में तीन प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकारी बैंकों का पूंजी-आधार और मजबूत करने के लिए उन्हें और धन मुहैया कराने की सरकार की प्रतिबद्धता जतायी है। जेटली ने सोमवार को कहा कि पिछले वित्त वर्ष में इन बैंकों को जो 18,000 करोड़ रुपये का संचयी नुकसान हुआ वह मुख्य तौर पर वसूल न किए जा सकने वाले रिण (एनपीए) के लिए ऊंचे पूंजी प्रावधान के कारण है।
पूंजी बाजार नियामक सेबी की स्टार्ट-अप सूचीबद्धता प्लेटफार्म को अधिक आकर्षक बनाने के लिये अगले महीने तक नियमों में ढील देने की योजना है। इसका मकसद इस क्षेत्र को कोष जुटाने के लिए उपयोगी बनाने में मदद करना है। साथ ही उनके विदेशी निवेशकों सहित मौजूदा निवेशकों को आसानी से बाहर निकलने का मौका उपलब्ध कराना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और विकास निगम (नेशनल शिड्यूल्ड कास्ट्स फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन –एनएसएफडीसी) की अधिकृत शेयर पूंजी 1000 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 1200 करोड़ रुपये करने की मंजूरी दे दी गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नया उद्यम शुरू करने वाले स्टार्टअप कारोबारियों के लिए आज कई अहम घोषणाएं की। शनिवार को स्टार्टअप उद्यमियों के पहले सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम ने स्टार्टअप को तीन साल की आयकर छूट के साथ ही उद्यम पूंजी निवेश पर पूंजीगत लाभकर से छूट, इंस्पेक्टर राज मुक्त परिवेश के अलावा वित्तपोषण के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का कोष स्थापित करने सहित कई तरह के प्रोत्साहन देने की घोषणा की।
रिसर्जेंट राजस्थान पार्टनरशिप सम्मिट में देश दुनिया के धनकुबेरों का दो दिवसीय मिलन जयपुर में हुआ। राजस्थान सरकार द्वारा पूंजी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से किए गए इस आयोजन में 300 निवेश करार हुए जिनसे 4 लाख करोड़ का निवेश राज्य में आने की संभावना बनती दिखाई दे रही है। इतना ही नहीं बल्कि इससे ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलने का भी दावा किया जा रहा है। अनुमान है कि रिसर्जेंट राजस्थान के इस आयोजन पर राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपये खर्च किया है। यह खर्च है कोई निवेश नहीं है। जनता की गाढ़ी कमाई का यह पैसा सिर्फ मेहमान नवाजी पर ही खर्च हो गया है। जयपुर की जनता को दो तीन दिन जो असुविधाएं झेलनी पड़ी वह तो अलग ही हैं। लोग पूछ रहे हैं कि जिस मुख्यमंत्री को अपने राज्य की जनता से मिलने तक कि फुर्सत नहीं होती है, कभी-कभार ही सभाओं में उनके दर्शन हो पाते हैं, वह पूंजीपतियों के मध्य कितनी आसानी से उपलब्ध हैं। यह अवसर राजस्थान के उन मतदाताओं को क्यों नहीं मिल पाता है जिन्होंने वोट दे कर प्रचंड बहुमत से उनकी सरकार चुनी है।
कारपोरेट क्षेत्र का एक हिस्सा और भारत के वित्त मंत्रालय में एक प्रभावशाली तबका विदेशी दान दाताओं के मामले में ज्यादा अनुदार रवैये की उपयोगिता के बारे में संशय रखता है। उनकी राय में सामाजिक क्षेत्र में विदेशी दाता पूंजी के प्रति ज्यादा अनुदार रुख प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को हतोत्साहित करेगा। ऐसी कारपोरेट राय की अगुवाई नारायण मूर्ति करते हैं। देखें नृपेंद्र मिश्र की पंचायती क्या रंग लाती है।