महाराष्ट्र में दूसरे राज्य से आने वाले लोगों पर लगातार निशाना साधने वाली शिवसेना ने इस बार राज्य के शहरों के स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ जाने का ठीकरा भी इसी समुदाय पर फोड़ दिया है। वैसे पार्टी ने इस रैंकिंग की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए हैं।
केंद्र सरकार ने 2017 में किए गए सर्वे के बाद स्वच्छ शहरों की सूची पेश की है उसमें कुछ शहरों को निचले पायदान पर रखा गया है। वहीं कुछ शहरों को एक-दो सालों के अंतराल में ही शीर्ष स्थान में शामिल किया गया है। सरकार के मापदंडों के आधार पर शहरों का क्रम विकास के पैमाने को अवश्य परिभाषित कर रहा है लेकिन कुछ खास शहरों का पीछे रह जाना कुछ सवाल भी पैदा कर रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा देश के 434 शहरों एवं नगरों में कराये गए स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद स्वच्छ भारत रैंकिंग में इंदौर ने बाजी मार ली है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू आज एक कार्यक्रम के दौरान इसकी घोषणा की।
केंद्र सरकार की ओर से कराए गए स्वच्छता सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश के इंदौर और भोपाल ने बाजी मार ली है। लेकिन कई शहर साफ-सफाई के मामले में पिछड़ते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के चार शहर तो सबसे निचले पायदान पर हैं।
सरकार ने 25,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मार्च 2021 तक देश में लगभग 28000 प्रभावित बस्तियों को सुरक्षित पेयजल मुहैया कराने के लिए आर्सेनिक और फ्लोराइड पर राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उपमिशन का शुभारंभ किया।
आम जनता को शुद्ध और सस्ता पानी उपलब्ध कराने के लिए स्टार्टअप को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आईआईटी कानपुर ने लखनऊ की डिसेंटिक टेक्नालॉजी कंपनी को नवोन्मेषी कार्यक्रम के तहत 50 लाख रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई है।
संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां विपक्ष के हमलों का एक-एक कर जवाब दिया, वहीं नोटबंदी, बजट, स्वच्छता अभियान जैसे तमाम मुद्दों पर अपनी सरकार की जोरदार ढंग से पक्ष रखा। इस मौके पर अपने चिरपरिचित अंदाज में पीएम विपक्षी नेताओं पर चुटकी लेने से भी नहीं चूके। पीएम ने अपने भाषण में आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान पर भी निशाना साधा।
आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को साफ लग रहा है कि वह पंजाब में हार रहे हैं। इसलिए वह ऐसी बातें कर रहे हैं। ऐसा लग रहा था कि पीएम मोदी लोकसभा को नहीं किसी जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
राजग सरकार की महत्वाकांक्षी 9,393 करोड़ रूपये की केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के 2017 की पहली तीमाही से शुरू होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है और इस परियोजना को हरित पैनल और आदिवासी मामलों के मंत्रालय की मंजूरी मिल गई है। इससे 6.35 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई और बुंदेलखड में पेयजल की समस्या से निपटने में मदद मिलने की उम्मीद है।