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Search Result : "पैसा"

लोगों का पैसा जमाकर भागने वालों पर शुरू में ही कसें फंदाः राजन

लोगों का पैसा जमाकर भागने वालों पर शुरू में ही कसें फंदाः राजन

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि आम निवेशकों से अवैध रूप से धन (जमाएं) जुटाने पर उसी समय काबू पाने की जरूरत है जबकि यह अपराध हो रहा हो क्योंकि एेसी कंपनियां पैसा जुटा लेने के बाद रातों रात गायब हो जाती हैं।
जाकिर नाइक के खिलाफ पैसे देकर जबरन धर्म करवाने के नए सबूत

जाकिर नाइक के खिलाफ पैसे देकर जबरन धर्म करवाने के नए सबूत

विवादास्पद इस्‍लामिक प्रचारक जाकिर नाइक फंसते नजर आ रहे हैं। उनके खिलाफ महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) को अब धर्म परिवर्तन कराने के नए सबूत मिले हैं। महाराष्ट्र एटीएस सूत्रों के मुताबिक आतंकी संगठन आईएसआईएस के पकड़े गए संदिग्ध रिजवान खान के घर से एटीएस को 800 से ज्यादा धर्म परिवर्तन के कागजात मिले हैं।
आपकी उड़ान अचानक निरस्‍त हुई तो मिलेगा टिकट का तीन गुना पैसा

आपकी उड़ान अचानक निरस्‍त हुई तो मिलेगा टिकट का तीन गुना पैसा

अगर विमानन मंत्रालय की एविएशन पॉलिसी के प्रस्‍ताव पर सरकार मुहर लगा देती है तो उड़ान के अचानक निरस्‍त होने पर अापको टिकट का तीन गुना पैसा लाैटाया जाएगा। इसके अलावा जल्द ही टिकट कैंसिल कराने पर पंद्रह दिनों के अंदर रिफंड मिलेगा। विमान यात्रियों की सहूलियत को देखते हुए विमानन मंत्रालय ने एविएशन पॉलिसी का खाका तैयार कर लिया है और 15 जून तक इस पर सुझाव मांगे हैं। पॉलिसी में रिफंड, कैंसिलेशन और अतिरिक्त सामान को लेकर नियमों में बदलाव किए गए हैं।
अगस्ता प्रकरणः पैसा हर सौदे में शामिल

अगस्ता प्रकरणः पैसा हर सौदे में शामिल

किसी भी रक्षा सौदे की बात की जाए पैसा तो हर सौदे में शामिल रहा है। इसके लिए किसी एक राजनीतिक दल को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। जिसकी भी सरकार रही उसने अपने तरीके से रक्षा सौदा किया।
वॉ की खरी-खरी, अब सिर्फ पैसे के प्रति निष्ठा

वॉ की खरी-खरी, अब सिर्फ पैसे के प्रति निष्ठा

आस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव वॉ ने कहा कि पूरी दुनिया में चल रही ट्वेंटी20 लीग पैसे के प्रति निष्ठा को प्रोमोट कर रही हैं जिसने किसी भी देश के लिए क्रिकेट के सभी तीनों प्रारूपों में सही संतुलन बिठाना असंभव कर दिया है। वॉ को हालांकि लगता है कि भारत, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड इस संतुलन को सही रखने में सबसे करीब हैं।
चर्चाः उनको पानी नहीं पैसा चाहिए | आलोक मेहता

चर्चाः उनको पानी नहीं पैसा चाहिए | आलोक मेहता

पश्चिमी देशों की तरह भारत में क्रिकेट के धंधे में शामिल दादा लोग बोतलबंद पानी, जूस या विदेशी ब्रांड शराब पसंद करते हैं। क्रिकेट खेल की सर्वोच्च संस्था बीसीसीआई में कुछ उस्ताद ऐसे भी होंगे, जिन्होंने कभी गांव के कुएं, तालाब या नाले के किनारे किसी तरह पानी को निकालते या ले जाते लोगों के दर्शन ही नहीं किए। उन्हें पानी की कीमत का अंदाज नहीं है।
बंगाल में चुनाव खर्च सीमा को धता बताने का रोडमैप

बंगाल में चुनाव खर्च सीमा को धता बताने का रोडमैप

चुनाव आयोग डाल-डाल और राजनीतिक पार्टियां पांत-पांत। बंगाल के विधानसभा चुनाव में जिस तरह से सरगर्मी दिख रही है, उससे साफ है कि पैसा पानी की तरह बहाने की तैयारी है और राजनीतिक दलों ने इसके रास्ते पहले से ही तैयार कर रखे हैं। चुनाव आयोग के मापदंडों के हिसाब से पार्टियां चलें तो एक राजनीतिक दल अधिकतम 82 करोड़ रुपए खर्च कर पाएगा। लेकिन तैयारी इससे कई गुना ज्यादा उड़ाने की है।
चर्चाः धन जनता का, चमके चेहरे मंत्रियों के | आलोक मेहता

चर्चाः धन जनता का, चमके चेहरे मंत्रियों के | आलोक मेहता

रेडियो पर एक गाना बहुत बजता है- ‘चेहरा न देखो, चेहरे ने लाखों को लूटा।’ यों यह गीत प्यार-मोहब्बत से जुड़ा है। लेकिन नेताओं-मंत्रियों के लिए इन शब्दों के अलग-अलग अर्थ लगाए जाते हैं। भोली भाली जनता चेहरे और वायदे पर वोट दे देती है। फिर खून-पसीने की मेहनत की कमाई का एक हिस्सा टैक्स के रूप में सरकारी खजाने को देती है। इसी सरकारी खजाने की रकम से सरकार में बैठे प्रभावशाली नेता-मंत्री अपना चेहरा चमकाए रखना चाहते हैं।
चर्चाः प्रचार, पैसा और पद |आलोक मेहता

चर्चाः प्रचार, पैसा और पद |आलोक मेहता

प्रचार मास्टर प्रशांत किशोर बिहार सरकार के सलाहकार नियुक्त हो गए। कोई चुनाव लड़े बिना कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया। लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की सफलता का ताज अपने सिर पर पहन कर प्रशांत किशोर ने पाटलीपुत्र में भी अशोक चक्र का तमगा प्राप्त कर लिया।
‘राम मंदिर मुद्दा पैसा कमाने की मशीन है’

‘राम मंदिर मुद्दा पैसा कमाने की मशीन है’

मैं अयोध्या के बाराबंकी कस्बे का रहने वाला हूं। मैंने अपने इलाके और उसके आसपास कभी राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर नफरत का माहौल नहीं देखा। इस माहौल की शुरूआत दिल्ली से हुई। सन 1947 में हमारी जमीन बंटी और 1992 में हमारे दिल बंट गए। जिस दिन हमारे दिल बंटे, वह दिन हमारे लिए सबसे बदनसीब दिन था। चुनाव जीतने के चक्कर में हमारी नस्लें बरबाद हो गईं। हैरान हूं कि यह लोग अभी भी चैन से नहीं बैठ रहे हैं। आखिर यह इस मुद्दे को कहां ले जाकर छोड़ना चाहते हैं?
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