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शिवराज के खिलाफ कांग्रेसियों ने सौंपा पीएम को सबूत

शिवराज के खिलाफ कांग्रेसियों ने सौंपा पीएम को सबूत

मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल के घोटाले के सबूत लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान कांग्रेसी नेताओं ने प्रधानमंत्री को बताया कि किस प्रकार मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं।
पचौरी ने आइपीसीसी प्रमुख पद छोड़ा

पचौरी ने आइपीसीसी प्रमुख पद छोड़ा

यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे राजेंद्र के पचौरी ने जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आइपीसीसी) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। पैनल की नैरोबी में चल रही बैठक में पचौरी ने हिस्सा नहीं लिया। आइपीसीसी के मंगलवार से शुरू हुए तीन दिन के 41वें सत्र में पचौरी के इस्तीफा देने के फैसले का ऐलान किया गया।
चिदंबरम ने दी प्रदेश कांग्रेस प्रमुख को चुनौती

चिदंबरम ने दी प्रदेश कांग्रेस प्रमुख को चुनौती

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और तमिलनाडु कांग्रेस अध्यक्ष ई वी के एस इलनगोवन के बीच कई हफ्तों से जारी मतभेदों के बीच चिदंबरम ने अपने छह समर्थकों के निष्कासन को लेकर एआईसीसी से हस्तक्षेप करने की मांग कर शनिवार को प्रदेश प्रमुख को सीधी चुनौती दी है।
टेरी प्रमुख पचौरी पर यौन उत्पीड़न का आरोप

टेरी प्रमुख पचौरी पर यौन उत्पीड़न का आरोप

ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान के प्रमुख आर के पचौरी पर उनके दफ्तक में काम करने वाली महिला सहयोगी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। महिला की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने पचौरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।
बालश्रम पर कसेगा शिकंजा

बालश्रम पर कसेगा शिकंजा

भारत में बाल मजदूरी कोई नई बात नहीं है। प्रति वर्ष मजदूरी के नाम पर लाखों बच्चे गायब कर दिए जाते हैं। बच्चों की खरीद-फरोख्त करने वाले माफिया की जड़ें कमजोर करने के लिेए मौजूदा सरकार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम कराने पर रोक के लिए विधेयक ला रही है।
शिवलाल यादव होंगे नए बीसीसीआई प्रमुख?

शिवलाल यादव होंगे नए बीसीसीआई प्रमुख?

पूर्व क्रिकेटर शिवलाल यादव को श्रीनिवासन का समर्थन प्राप्त है और अगर चुनाव नहीं होते हैं तो पूर्वी क्षेत्र की इकाइयां भी उन्हें अध्यक्ष बनाने पर हामी भर सकती हैं।
सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्‍नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?
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