बीसवां देवीशंकर अवस्थी सम्मान युवा आलोचक जीतेंद्र गुप्ता को उनकी पुस्तक ‘भारतीय इतिहासबोध का संघर्ष और हिंदी प्रदेश’ के लिए प्रतिष्ठित लेखिका कृष्णा सोबती द्वारा 5 अप्रैल 2015 को रवींद्र भवन में साहित्य जगत की जानी-मानी हस्तियों की मौजूदगी में प्रदान किया गया।
उत्तराखंड के रामनगर में दो पत्रकारों पर जानलेवा हमला किया गया है। हमले में स्वतंत्र पत्रकार और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी गंभीर रूप से घायल हुए हैं। प्रभात को हद्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पिछले दो महीने में दो अलग-अलग न्यायालयों ने आरक्षण को लेकर एक ही बात कही है। दोनों ही बार कोर्ट ने आरक्षण नीति जारी रखने को उचित कहा है लेकिन यह भी कहा है कि आरक्षण नीति में बदलाव, बल्कि इस पर सतत चिंतन की जरूरत है। यह राजनीतिक तौर पर संवेदनशील मसला तो है लेकिन इस पर जो राजनीति होती रही है, उससे नीति का मकसद पूरा नहीं हो रहा है। वैसे, राजनीतिक दल इसे लेकर रोटी सेंकने की जब भी कोशिश करते हैं, उनके हाथ में फफोले ही पड़े हैं। यह तो सब जानते ही हैं कि मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने वाली वीपी सिंह सरकार लौटकर सत्ता में नहीं आई।
आम आदमी पार्टी यानी आप की राजनीतिक मामलों की कमेटी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले जाने के बाद योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, प्रो. आनंद कुमार और प्रो. अजीत झा क्या करेंगे? क्या वे चुपचाप पार्टी से बाहर हो जाएंगे या अपने समर्थकों को लेकर नई पार्टी बनाएंगे? आम आदमी पार्टी को कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के विकल्प के तौर पर देखने वालों के सर पर आजकल ये सवाल बेताल की तरह नाच रहे हैं।
भारत के नामचीन फैशन डिजायनरों में शुमार रितु कुमार, रोहित बल और सब्यसाची समेत लगभग 25 मशहूर डिजायनर मुंबई में हुए अमेजन इंडिया फैशन वीक के 25वें संस्करण के समापन पर साथ आए।
कई दिनों से सोशल नटवर्किंग साइट्स पर आम आदमी पार्टी चर्चा का विषय बनी हुई है। हाल ही में एक अखबार ने दावा किया कि अमेठी में चुनाव प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास महिला वालंटियर के साथ हमबिस्तर होते थे। उस वक्त इससे संबंधित जानकारी अरविंद केजरीवाल को ईमेल भी की गई थी। तमाम तरह के विवाद सोशल मीडिया की नजर से -
आम आदमी पार्टी आखिर दो गुटों में बंट ही गई। एक गुट मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समर्थन में तो दूसरा योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के समर्थन में। दिल्ली में ऐतिहासिक जीत के बाद पहली बार आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जो हंगामा हुआ उसकी पटकथा पहले से ही तैयार थी।