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केजरीवाल का संयोजक पद से इस्तीफा

केजरीवाल का संयोजक पद से इस्तीफा

आम आदमी पार्टी (आप) के भीतरी कलह अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। बढ़ती अंतर्कलह से आहत अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को पार्टी के संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफे में लिखा है कि वह केवल दिल्ली पर ध्यान देना चाहते हैं, इसलिए ही यह कदम उठाया है, क्योंकि दोनों जिम्मेदारियां निभाना मुश्किल हो गया है।
योगेंद्र यादव पीएसी से हटाए गए

योगेंद्र यादव पीएसी से हटाए गए

आम आदमी पार्टी का संकट सुलझाने केलिए आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फैसला किया गया कि योगेंद्र यादव को राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी ) से हटा दिया जाए। कुछ दिनों से आम आदमी पार्टी में चल रहा घमासान और बड़े नेताओं की आपसी खींचतान बुधवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से ठीक पहले नरम पड़ती दिखाई दी। दरअसल दोनों ही खेमों के बीच सुलह के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।
'आप’  मत बनो वे

'आप’ मत बनो वे

क्या मनोविज्ञान का पीटर सिद्धांत व्यक्तियों की तरह संगठनों और राजनैतिक दलों पर भी लागू होता है? पीटर सिद्धांत के अनुसार कोई व्यक्ति अपनी अक्षमता की हद तक ही तरक्की करता है। यानी दक्षता की उस सीमा तक तरक्की जहां से संबद्ध व्यक्ति की अक्षमता का प्रदेश शुरू होता है। अभी तक पीटर सिद्धांत का जिक्र सिर्फ व्यक्ति के संदर्भ में होता था।
आप का आत्मसंघर्ष

आप का आत्मसंघर्ष

आम आदमी पार्टी (आप) में इन दिनों दो धाराओं का संघर्ष चरम पर हैं। एक तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल हैं तो दूसरी तरफ योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण जैसे गंभीर छवि के नेता हैं। पार्टी के प्रभावशाली लोग संकेत दे रहे हैं कि 4 मार्च को होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को ठिकाने लगाया जा सकता है।
कहां है आप का आंतरिक लोकतंत्र?

कहां है आप का आंतरिक लोकतंत्र?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर नई तरह की जन आकांक्षाएं पैदा की थीं। लेकिन सरकार बनने के कुछ ही वक्त बाद पार्टी के भीतर का वैचारिक संघर्ष बाहर आ गया है। अरविंद केजरीवाल और समर्थकों के निशाने पर पार्टी नेता योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण हैं। इन दोनों नेताओं ने पार्टी के भीतर लोकतांत्रिकरण की बहस उठाई थी। साथ ही पार्टी में व्यक्ति के बजाय सामूहिक निर्णय पर जोर दिया था। अब पार्टी के भीतर नैतिक सवालों को भीड़ के तर्क के आधार पर हल करने की कोशिश की जा रही है।
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