दिल्ली में 77 साल का एक बुजुर्ग 37 साल ली गई जमीन के मुआवजे के लिए भटक रहा है। मुआवजा तो दूर उसे इसकी जानकारी हासिल करने के लिए भी केंद्रीय सूचना आयोग से गुहार लगानी पड़ी।
भीषण गर्मी और लू से अब तक देश में 1100 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है। इसके बावजूद अभी तक इसे राष्ट्रीय आपदा नहीं माना जा रहा है। नेपाल भूकंप में तुरंत राहत पहुंचाने वाली केंद्र सरकार भी इस मामले को हल्के में ले रही है।
केरल में महिला खिलाडि़यों के यौन उत्पीड़न और आत्महत्या के प्रयास का सनसनीखेज मामला सामने आया है। चार खिलाडि़यों ने खुदकुशी का प्रयास किया, जिसमें से एक की मौत हो गई है।
कष्ट में पड़े लोग सरल हृदय करुणा के स्पर्श की सांत्वना के भूखे होते हैं। आत्मरत चतुराई उनके जले पर नमक छिडक़ती है। यह बात मोदी सरकार के चालाक मीडिया प्रबंधक नहीं समझ पाए। वे यह भी भूल गए कि भारतीय टेलीविजन, खासकर हिंदी टेलविजन, नेपाल के लोग भी देखते और समझते हैं।
नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में मरने वालों की संख्या शनिवार को बढकर 7 हजार से ज्यादा हो गई है और 14,025 अन्य लोग घायल हुए हैं। अब मलबे में शायद ही किसी के जिंदा बचे होने की उम्मीद बची है।
नेपाल में आए भीषण भूकंप ने जहां इस देश को बुरी तरह से झकझोर दिया वहीं इस देश की सीमा से लगे भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव का आदेश हुआ कि एक समाजवादी टीम को नेपाल में जाकर लोगों की मदद करनी चाहिए। इसका नेतृत्व माननीय मुख्यमंत्री जी ने मुझे सौंपा और मैं २७ अप्रैल को ५० सदस्यीय टीम लेकर लखनऊ से नेपाल रवाना हो गया।
भूकंप से तबाह हुए नेपाल में शवों को मलबे से निकालना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। कई देशों से भेजी जा रही मदद के बावजूद दूरदराज के इलाकों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है। इस बीच, सड़ती लाशों की वजह से बीमारी फैलने का खतरा पैदा हो गया है।
भूकंप ने नेपाल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ समझे जाने वाले एवरेस्ट की कमर पर चोट की। ठीक एक साल बाद एवरेस्ट को फिर से आपदा ने घेरा। पिछली बार की ही तरह इस बार भी एवरेस्ट की चढ़ाई के चरम सीजन के दौरान आई आपदा दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को गिरफ्त में लेने वाली अब तक की सबसे भयानक आपदा हो गई है।
नेपाल में आए शक्तिशाली भूकंप के कारण दक्षिण पश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में आए भूकंप में मरने वालों की संख्या सोमवार को बढ़कर 20 हो गई है जबकि प्रभावित क्षेत्र में राहत और बचाव का सिलसिला जारी है।
आउटलुक को बताइए अपनी राय, आखिर हादसों के वक्त ही क्यों याद आता है आपदा प्रबंधन? अनियोजित विकास की भेंट चढ़ चुके दिल्ली जैसे शहरों में भूकंप के तगड़े झटके आए तो किसे दोषी ठहराएंगे हम?