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Search Result : "फिटनेस ब्रांड"

फिटनेस क्विज

फिटनेस क्विज

वैसे तो बहुत सी बातें हैं जो आपके व्यक्तित्व की खूबियों-खामियों को बताती हैं। भोजन की आदतें भी इनमें से एक हैं। आप कैसा और कब-कब खाना पसंद करते हैं इससे भी पता चलता है कि आपका स्वभाव कैसा है। एक मजेदार प्रश्नोत्तरी के जरिये आप भी जानिए अपना स्वभाव। दस सवालों के जवाब और बस आपको पता चल जाएगा कि आखिर आप कैसे हैं
रामदेव का कैबिनेट दर्जा लेने से इनकार

रामदेव का कैबिनेट दर्जा लेने से इनकार

योग गुरु रामदेव ने मंगलवार को हरियाणा सरकार की ओर से की गई कैबिनेट मंत्री के दर्जे की पेशकश को ठुकराते हुए कहा कि वह मंत्री पद के आकांक्षी नहीं हैं और बाबा ही रहना चाहते हैं।
नीबू के फायदे

नीबू के फायदे

यह तो चिकित्सक भी मानते हैं कि गर्मी के दिनों में नीबू पानी पीने से शरीर का तापमान ठीक रहता है इससे शरीर को ताजगी मिलती है। यह शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
भारतीय बाज़ार पर रीबॉक की नज़र

भारतीय बाज़ार पर रीबॉक की नज़र

खेल का सामान और जूते बनाने वाली कंपनी रीबॉक जल्द ही भारत में रीटेल स्टोर से इतर फिटनेस स्टूडियो खोलने की योजना बना रही है। जाहिर है कंपनी को भारत में फिटनेस का बड़ा बाजार नजर आ रहा है।
राहुल की मुट्टी खुलने का इंतजार

राहुल की मुट्टी खुलने का इंतजार

हम गांव की चिंता में भटकते राहुल की चल और अचल तस्वीरें देखते हैं लेकिन अभी जानते कि गांवों को खुशहाल बनाने की उनकी नीतियां क्या हैं और वह इसके लिए कौन-कौन से कदम उठाने वाले हैं। हम गरीबों से राहुल के मेलजोल की कोशिशों के बाबत पढ़ते हैं और भरोसा करने को तैयार हैं कि वह उनकी हालत बिना किसी बिचौलिए के जानने चाहते हैं जिस देश में गरीबों के लिए बनी योजनाओं का लाभ अक्सर फर्जी गरीब उठा लेते हैं वहां अब हम जानना चाहते हैं कि राहुल सही गरीबों की शिनाख्त का कौन सा बेहतर तरीका अपनाएंगे। हम जानते हैं क अपने पिता राजीव गांधी की तरह राहुल गांधी भी चिंतित हैं कि गरीबों के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए प्रत्येक रुपये में सिर्फ 15 पैसे उन तक पहुंचते हैं लेकिन हमारी अब यह जानने की भी अपेक्षा है कि विचौलियों द्वारा चट हो रहे बाकी के 85 पैसे राहुल गरीबों तक कैसे पहुंचाएंगे। हम जानते हैं कि राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना को राहुल गांधी अपनी यूपीए सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं और उसे पूरे देश में फैलाना चाहते हैं, शहरों मे भी, लेकिन हम यह भी जानना चाहते हैं कि वह इस योजना में व्यापक धांधली कैसे रोकेंगे, कैसे सुनिश्चित करेंगे कि सही लोगों को जॉब कार्ड मिले, काम पर आए मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी मिल पाए और इस योजना के जरिये गांवों में पक्के आधारभूत ढांचे भी बन पाएं।