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Search Result : "फिल्म से राजनीति"

राजनीति के सितारों के लिए फिल्मी सितारों का योगदान

राजनीति के सितारों के लिए फिल्मी सितारों का योगदान

हाल के कुछ सालों में नामी हस्तियों का चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करना बढ़ गया है। यह एक तरह से लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है। नामी हस्तियों के चुनाव में वोट डालने से आम व्यक्तियों को भी प्रेरणा मिलती है।
स्वामी का आरबीआई गवर्नर पर हमला, बोले वापस शिकागो भेजो

स्वामी का आरबीआई गवर्नर पर हमला, बोले वापस शिकागो भेजो

अपने आरोपों से देश की राजनीति में भूचाल लाने वाले भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने गुरूवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन पर हमला बोला। स्वामी ने राजन को देश में बेरोजगारी और उद्योग जगत के पतन के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग की।
‘राजनीति में सोनिया नहीं मेनका की मदद चाहती थीं इंदिरा’

‘राजनीति में सोनिया नहीं मेनका की मदद चाहती थीं इंदिरा’

दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने पुत्र संजय गांधी के निधन के बाद चाहती थीं कि उनकी छोटी बहू राजनीति में उनकी मदद करे लेकिन मेनका ऐसे लोगों के साथ थीं जो राजीव के विरोधी थे। हालांकि दिवंगत प्रधानमंत्री का सोनिया के प्रति अनुराग अधिक था लेकिन संजय की मौत के बाद उनका झुकाव मेनका की ओर भी हो गया था।
एक बार फिर निर्देशन में अपना हाथ आजमाएंगे प्रोसेनजीत

एक बार फिर निर्देशन में अपना हाथ आजमाएंगे प्रोसेनजीत

बंगाली फिल्मों के सुपरस्टार प्रोसेनजीत चटर्जी 18 साल बाद एक बार फिर निर्देशन में अपना हाथ आजमाने वाले हैं। पिछले सप्ताह ही प्रोसेनजीत की बॉलीवुड फिल्म ट्रैफिक बड़े पर्दे पर रिलीज हुई है।
लकीर बड़ी करने में विश्वास : डॉ. रमन सिंह

लकीर बड़ी करने में विश्वास : डॉ. रमन सिंह

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को 12 साल से सत्ता में बने हुए हैं और अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी में दमखम से जुटे हुए हैं। राजनीतिक समीकरणों पर उनकी निगाह है। अरसे से उन्होंने विकास कार्यक्रमों को अपना कारगर हथियार बना रखा है। नक्सली हिंसा के मुकाबले के लिए भी वे जनता से सीधा संवाद और विकास योजनाओं के सूक्ष्म स्तर तक क्रियान्वयन को सटीक फार्मूला मानते हैं। पार्षद से मुख्यमंत्री तक का सफर तय करने वाले रमन सिंह को जनता की नब्ज सटीक तौर पर समझने-परखने वाला नेता माना जाता है। छत्तीसगढ़ में अभी हाल उन्होंने `लोक सुराज यात्रा' का अभियान शुरू किया है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के इलाकों के दौरे में डॉ. रमन सिंह के साथ आउटलुक के समाचार संपादक दीपक रस्तोगी ने लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश :
चर्चाः असली-नकली डिग्री की राजनीति | आलोक मेहता

चर्चाः असली-नकली डिग्री की राजनीति | आलोक मेहता

नाम में क्या रखा है, काम जरूर देखो। डिग्री बहुत बड़ी, देश के साथ विदेश की हो, नाम धनवान या गरीब खानदान से हो- असली परीक्षा परिवार-समाज और राष्‍ट्र को पहुंचाए गए लाभ से हो सकती है। इसी तरह विरोध की राजनीति, आंदोलन-असहमति-असहयोग और कठोर आलोचना की हो सकती है। लेकिन अब शिक्षा की डिग्री पर राजनीतिक बवाल मचाने का नया घटिया खेल शुरू हुआ है।
फ्लोर टेस्ट से पहले उत्‍तराखंड में स्टिंग का एक और डंक

फ्लोर टेस्ट से पहले उत्‍तराखंड में स्टिंग का एक और डंक

उत्‍तराखंड में शक्ति परीक्षण के पहले एक और स्टिंग ने राजनीति में सनसनी फैला दी है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में 10 मई को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है। इसको ध्‍यान में रखते हुए कांग्रेस और भाजपा हर तरह के प्रयास कर रही है ताकि विधानसभा में उनको बहुमत मिल जाए।
चर्चाः स्नान राजनीति का नया रूप | आलोक मेहता

चर्चाः स्नान राजनीति का नया रूप | आलोक मेहता

दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के नाम पर पिछले दशकों में राजीनतिक खेल होते रहे हैं, लेकिन भाजपा सहयोगी संगठनों ने इस बार ‘स्नान राजनीति’ का नया रूप पेश कर दिया है।
केंद्र का पानी ठुकराकर अखिलेश ने टैंकरों के लिए मांगे केंद्र से पैसे

केंद्र का पानी ठुकराकर अखिलेश ने टैंकरों के लिए मांगे केंद्र से पैसे

बुंदेलखंड में सूखे की समस्या और इसे लेकर शुरू हुई राजनीति के बीच आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान अखिलेश ने न सिर्फ सूखे के कारण राज्य में फसल को हुई व्यापक क्षति की भरपाई के लिए विशेष सहायता की मांग की बल्कि राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे पेयजल योजनायों के लिए भी वित्तीय मदद की मांग की।
कूचबिहार के रिसोर्ट से अचानक क्यों निकल गईं ममता

कूचबिहार के रिसोर्ट से अचानक क्यों निकल गईं ममता

कूचबिहार के चालसा के जिस रिसोर्ट में रुककर मतदान के आखिरी चरण पर नजर रही थीं, वहां से अचानक वे निकल गईं। राजनीति में `अनप्रेडिक्टेबल’ कही जाने वाली ममता बनर्जी ने अपने स्वभाव के अनुसार यह कदम नहीं उठाया। बल्कि, वहां चुनाव पर्यवेक्षक के पहुंचने और कांग्रेस के नेताओं द्वारा उस रिसोर्ट के प्रबंधकों को बार-बार फोन किए जाने के चलते दीदी वहां से बगैर किसी को जानकारी दिए निकल गईं।
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