नागौर में भीषण हिंसा, महाराष्ट्र में दलित युवक की हत्या, उत्तर प्रदेश में दलित महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाया। देश भर में दलितों पर न सिर्फ हिंसा की घटनाओं में जबर्दस्त तेजी आई है, बल्कि घटनाओं को अंजाम भी बेहद नृशंस तरीके से दिया जा रहा है। इससे यह साफ होता है कि विकास की राह में सबको साथ लेकर चलने के तमाम दावों के साथ ही साथ उनके प्रति नफरत दिनोदिन बढ़ती जा रही है।
कांग्रेस दलितों पर हो रहे अत्याचार के मामले को अब जोर-शोर से उठाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्यों से आंकड़ा मंगाना शुरू किया है जहां दलितों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं। जिन राज्यों में ज्यादा अत्याचार की शिकायतें होगी वहां स्वयं कांग्रेस उपाध्यक्ष जाएंगे और लोगों की समस्याएं सुनेंगे।
बांग्लादेश की जमात ए इस्लामी पार्टी के एक शीर्ष नेता की फांसी की सजा के खिलाफ दायर आखिरी याचिका भी सोमवार को खारिज हो गई। अब उसे फांसी दिए जाने का रास्ता साफ हो गया है। यह सजा उसे 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान लोगों पर अत्याचार करने के लिए सुनाई गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्ववर्ती फैसले को कायम रखते हुए मोहम्मद कमर उज जमां की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया।
हिंदू परिवारों को यह अधिकार नहीं है कि वे यह तय कर सकें कि उन्हें कितने बच्चे पैदा करने हैं। यह तय करेंगे हिंदू संगठन क्योंकि उन्हें चिंता है कि हिंदू कहीं भारत में ही अल्पसंख्यक न हो जाएं। यह तर्क लंबे समय से हिंदुत्वादी संगठन देते रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों में उन्होंने ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए आक्रामक अभियान छेड़ रखा है।
महज बारह साल की एक मुस्लिम लड़की ने मुंबई में भगवत गीता पर आधारित एक प्रतियोगिता जीत कर धर्म के कई ठेकेदारों को आईना दिखाया है। मीरा रोड इलाके के एक स्कूल की छठी कक्षा की छात्रा मरियम आसिफ सिद्दीकी ने प्रतियोगिता में शामिल हुए 4,500 बच्चों के बीच जीत हासिल की।
भारत के अलग-अलग हिस्सों में आप बच्चों के किसी भी डॉक्टर के पास जाएं, वहां आने वाले मां-बाप की एक आम शिकायत यही होती है कि उनका बच्चा ठीक से खाता-पीता नहीं है, या फिर यह कि खाता तो ठीक से है मगर बच्चे का उस अनुपात में वजन नहीं बढ़ रहा या उसकी लंबाई नहीं बढ़ रही।
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता संभालने के करीब एक हफ्ते बाद शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार आम आदमी पार्टी के चुनावी वायदों के तहत बहुत जल्द बिजली की दरें कम करने जा रही है और मुफ्त पानी योजना शुरू करने वाली है।
कामकाजी महिलाओं में सबसे खराब स्थितियां मजदूर वर्ग की महिलाओं की हैं। उनके लिए न तो क्रेच व्यवस्था है और न वे मजदूरी के समय से समय निकाल अपने नवजात बच्चों को दूध पिला सकती हैं। कुपोषण के शिकार इनके बच्चों का सही विकास तक नहीं हो पाता है। बच्चे को दूध न पिला सकने का ऐसा ही एक मामला तेलंगाना में सामने आया है जिसमें ऐसा होने पर बच्चे की मौत हो गई है।