भारतीय गेंदबाजों ने सपाट पिच पर जबर्दस्त धैर्य का परिचय देते हुए एकमात्र क्रिकेट टेस्ट में बांग्लादेश को 208 रन से हराया जिससे टीम का अजेय अभियान 19 टेस्ट तक पहुंच गया।
भारत ने 459 रन के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए उतरे बांग्लादेश के चौथे दिन तीन विकेट 103 रन पर निकालकर एकमात्र टेस्ट क्रिकेट मैच में बड़ी जीत दर्ज कर करने की तरफ कदम बढ़ाये।
कई मौकों पर कट्टपंथियों के गुस्से का सामना कर चुकीं जानी मानी बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन का मानना है कि सेंसरशिप का सबसे बुरा रूप स्व सेंसरशिप है। बांग्लादेश में लेखकों, अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं और नास्तिक ब्लाॅगरों के खिलाफ बढ़ते हमलों पर तसलीमा ने कहा कि घातक परिणामों से बचने के लिए अब कई लेखक स्व सेंसरशिप अपनाने को मजबूर हो गए हैं।
रक्षा मंत्राी मनोहर पर्रिकर दो दिन की बांग्लादेश यात्रा पर बुधवार को यहां पहुंचे। वह दोनों देशों के बीच के रक्षा रिश्तों को प्रगाढ़ करने के लिए शीर्ष असैनिक और सैनिक नेतृत्व से मुलाकात करेंगे।
आतंकवाद को बढ़ावा देने के मुद्दे पर भारत के बाद अब बांग्लादेश ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया है। बांग्लादेश का कहना है कि इस बात को साबित करने के पर्याप्त सबूत हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद को पाल-पोस रहा है। मीडिया के मुताबिक बांग्लादेश के सूचना और प्रसारण मंत्री हसनुल हक इनू ने भारत की यात्रा के दौरान पाक पर आतंक को लेकर हमला बोला है।
भारत सरकार ने अपने पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक नागरिकों को नया उपहार दिया है। आपसी संबंध सुधारने की दिशा में यह एक निर्णायक कदम हो सकता है। भारत ने इन देशों के अल्पसंख्यकों को वीजा की शर्तों में ढील दी है।
बांग्लादेश आतंकी हमले के बाद जहां एक ओर विवादों में घिरे मुस्लिम धर्म प्रचारक और उपदेशक जाकिर नाइक की गिरफ्तारी की मांग शुरू हो गई है, वहीं खबर है कि अब वह दो-तीन हफ्ते बाद भारत लौटेंगे। उन्होंने कहा है कि उनसे किसी जांच एजेंसी ने अभी तक किसी तरह की पूछताछ नहीं की है।
बांग्लोदश के जन्म के समय कई लोगोें ने पाकिस्तान की मंशा का विरोध किया था। बांग्लादेश में 30 फीसदी अल्पसंख्यक हैं, जिन्हाेंने पाकिस्तान का साथ दिया था। इनमें सेना, पुलिस, नागरिक सेवक, इस्लामिक समूह जैसे जमात-ए-इस्लामी आदि शामिल थे। बांग्लोदश नेशनलिस्ट पार्टी की खालिदा जिया भी पाकिस्तान के पक्ष में हैं। प्रधानमंत्री और अवामी लीग की अध्यक्ष शेख हसीना का भारत की तरफ झुकाव है। हसीना भावुक हैं और कठोर फैसले नहीं ले पाती हैं। इन दोनों बेगमों की विचारधारा और कार्य करने का जो अंतर है, उसी में बांग्लादेश फंस गया है।
अब समय आ गया है कि इस्लाम के ऐसे विचार और उनके अनुसरण को रोका जाए, जो धर्म के नाम पर हिंसा और मारकाट को बढ़ावा दे रहे हैं। कटटरपंथी बनने की बजाए मुस्लिम युवाओं को ऐसी शिक्षा दी जाए ताकि उनके मन में एक अच्छे और उदार मुस्लिम बनने की भावना पैदा हो। यह काम अभिभावक, शिक्षक और मुस्लिम विद़वान मिल-जुलकर कर सकते हैं। मुस्लिम अभिभावक अपने बच्चों के मानसिक विकास पर ध्यान दें।