बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने बगावती रूख अख्तियार कर लिया है। पार्टी के नेतृत्व को नकारते हुए मांझी ने दो टूक कह दिया कि पार्टी के विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार केवल विधायक दल के नेता यानी मुख्यमंत्री को है।
दंगे के चौथे दिन बुधवार को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पीडि़तों का दर्द जानने पहुंचे। घटना को दुखद बताते हुए उन्होंने इसमें बाहरी लोगों का हाथ होने की आशंका जताई। साथ ही कनीय पुलिस अधिकारियों को भी इसके लिए दोषी ठहराया।
दंगे को लेकर सरैया थाना पुलिस की भूमिका कठघरे में है। छात्र भारतेंदु के अपहरण के आरोपी के खिलाफ सुबूत देने पर भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। वह युवक के सकुशल होने की बात कहती रही। जैसे ही छात्र का शव मिला लोग बेकाबू हो गए। पुलिस की कमजोरी यहां भी सामने आई। क्योंकि लगातार सूचना दिए जाने के बाद भी पुलिस वहां नहीं पहुंची। जबकि दो घंटे तक उपद्रवी हिंसा व आगजनी करते रहे।
राबिन शॉ पुष्प के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सुबह लौटते हुए पीछे छूटते गांवों से निकलकर उनकी कहानी में प्रवेश लेना था। यह कहानी आभा ब्राउन की नहीं है, ओनील और आभा ब्राउन और उनके माता-पिता मेरे साथ हो लिए थे।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को लेकर विभिन्न स्तर के कोई चार सौ से ज्यादा अध्ययन हुए हैं और लगभग सबका निष्कर्ष है कि कई तरह की कमियों और गड़बडिय़ों के बावजूद इससे तीन बड़े फायदे हुए हैं,