प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘असहिष्णुता के सबसे बड़े पीड़ित’ कहने वाले बृज बिहारी कुमार तो याद ही होंगे। इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आईएसएसआर) के मुखिया बृज बिहारी कुमार का कहना है कि अब पाठ्य पुस्तकें शिक्षा देने के बजाय जेएनयू जैसे एक्टिविस्ट बनाने के लिए लिखी जा रही हैं।
वीवीआईपी कल्चर की प्रतीक गाड़ियों पर लगने वाली लाल बत्ती पर मोदी सरकार ने कड़ा प्रहार किया है। बुधवार को मोदी सरकार ने इस वीआईपी कल्चर को खत्म करने का फैसला लेते हुए लाल बत्ती पर रोक लगा दी है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने आज कहा कि यह अफसोस की बात है कि पाकिस्तान का सिंध प्रांत, जहां उनका जन्म हुआ था, वह आजाद भारत का हिस्सा नहीं है।
केंद्रीय जनजाति आयोग ने कनकुनी जमीन घोटाले के याचिकाकर्ता जय लाल राठिया की मौत की जांच के लिए अपनी टीम रायगढ़ (छत्तीसगढ) रवाना कर दी है। जनजाति आयोग ने जय लाल राठिया की संदेहास्पद स्थितियों में मृत्यु से संबंधित समाचारों का स्वत: संज्ञान लेते हुए छत्तीसगढ के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है।
टिपिकल पंजाबी भाषा में कहें तो कनेड्डे (कनाडा) से आया एक लड़का और शादी के जश्न में डूबा घर का कोना-कोना। कनन (सूरज शर्मा) की शादी बचपन की दोस्त अनु (महरीन पीरजादा) से हो रही है। कनन मांगलिक है और शादी को लेकर थोड़ा असमंजस में भी। फिर एक अच्छी आत्मा की एंट्री और अनु-कनन में प्यार। कहानी बस इतनी सी ही है। लेकिन यह कहानी हल्के फुल्के कॉमेडी अंदाज और चुटीले संवाद के साथ कही गई है।
जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने जाट आरक्षण की मांग को लेकर सरकार और आंदोलनकारियों के बीच समझौता वार्ता सफल होने के बाद दिल्ली कूच का अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की।
गणतंत्र दिवस 2017 के आयोजन के तहत केंद्र सरकार लालकिले पर छह दिवसीय ‘भारत पर्व’ का आयोजन कर रही है। 26 से 31 जनवरी, 2017 तक चलने वाले एस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्यल लोगों में देशभक्ति की भावना को जागृत करने के साथ देश की समृद्ध सांस्कृ तिक विविधता को बढ़ावा देना है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू की विरासत को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में संभालने वाले लाल बहादुर शास्त्री के निधन को 51 साल हो गए हैं, पर उनके परिवार के कुछ सदस्यों को आज भी संदेह है कि उनकी मृत्यु प्राकृतिक नहीं थी। ऐसे में शास्त्री जी के परिजनों को उनके साथ गए सहयोगियों द्वारा ताशकंद समझौते के विवरणात्मक तथ्यों को एक बार अवश्य देख लेने की आवश्यकता है।