यदि आप बिहार में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी भी हैं, तब भी आप पुलिस मुख्यालय की ताकतवर जातीय लॉबियों, नेताओं और उनके गुर्गों के उत्पीड़न से नहीं बच सकते।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने यह कहकर राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है कि देश में लोकतंत्र को कुचलने में सक्षम ताकतें मजबूत हुई हैं और दोबारा इमर्जेंसी की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
‘कसाब.गांधी@यरवदा.इन’ संग्रह पंकज सुबीर का तीसरा संग्रह है और अपने पूर्व के दो संग्रहों की ही तरह इसमें भी पंकज सुबीर की कहानियों की विषय वैविध्यता दिखाई देती है। कई कई विषयों को समेटे हुए दस कहानियां हैं। इनमें विषयों में सांप्रदायिकता है, आतंकवाद है, बचपन की फैंटेसी है, मध्यमवर्गीय जीवन है, देह के समीकरण हैं और कुछ रहस्य की कहानियां भी हैं। मतलब यह कि दस कहानियों में लगभग दस अलग-अलग विषयों को समेटने की कोशिश की गई है।
बिहार की राजनीति में अलग अंदाज में गठजोड़ करने में वह माहिर हैं। पुराने गठजोड़ों को नया रंग देने की कला में वह निपुण हैं। स्थिति के हिसाब से दुश्मनों को दोस्त और पुराने साथियों से अखाड़े में कुश्ती की कला में पारंगत हैं। जब ये लगने लगे कि बिहार उनके हाथ से निकल ही गया तो फिर वह अपनी नई चाल से खेवनहार बनने की दावेदारी पेश करते हैं। जिनको सत्ता से हटाने के लिए उन्होंने अपनी पार्टी की कतारों को लामबंद किया, उन्हीं लालू प्रसाद यादव के साथ आज वह गलबहियां डाल उगता बिहार, नूतन बिहार के नारे के साथ वोट मांगने की तैयारी में हैं।
घरेलू कंपनियां अपने कर्मचारियों को इस साल वेतन में औसतन 10.8 प्रतिशत की वृद्धि की पेशकश कर सकती हैं जो एशिया प्रशांत क्षेत्र में सर्वाधिक है। वहीं बेहतर प्रदर्शन करने वालों के वेतन में 12 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।
शुरू में जो मामला विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के परिवार और ललित मोदी के आपसी संबंधों की कहानी लग रहा था, उसमें बीजेपी की आन्तरिक राजनीति का कोण तब जुड़ गया जब बीजेपी के सांसद और क्रिकेट की राजनीति के माहिर कीर्ति आज़ाद ने 'आस्तीन के सांप' की बात कर दी। लोग सांप तलाशने लगे क्योंकि आस्तीन के बारे में सब को पता था।
अब योग किसी एक संस्कृति या धर्म का नहीं रहा। यह क्रिसमस की तरह है, जो भी इसे मनाना चाहें उन सब का है। आधुनिक दौर में हमारे सुस्त और गतिहीन जीवन से उबरने का सबसे बेहतर तरीका।
एक चौथाई शताब्दी से भी ज्यादा समय से परेश बरुआ भारतीय सेना और पुलिस को चकमा देकर बचते आ रहे हैं। यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ वेस्ट साउथ ईस्ट एशिया (युएनएलएफडब्ल्यूएसइए) के गठन में प्रमुख भूमिका निभानेवाले और अभी के समय भारतीय सेना के विरुद्ध आक्रामक रुख रखे हुए प्रतिबंधित संगठन उल्फा के सेनापति बरुआ का एनएससीएन(के) के अध्यक्ष एस.एस. खापलांग से घनिष्ठ संबंध है।