एन बीरेन सिंह ने आज मणिपुर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्हें इंफाल में राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने शपथ दिलाई। यह पहला मौका है जब राज्य में भाजपा की सरकार बनी है। उनके साथ आठ अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू को भी भाग लेना था पर विमान के इंजन में आई गड़बड़ी के कारण उन्हें वापस दिल्ली लौटना पड़ा।
गोवा में मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में सरकार बनाने लायक बहुमत का जुगाड़ कर चुकी भारतीय जनता पार्टी ने आज मणिपुर में भी बहुमत का गणित बिठा लिया। राज्य में चार सीटें जीतने वाले नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के चारों विधायकों ने आज मणिपुर में राज्यपाल नजमा हेप्तुल्ला से मुलाकात कर राज्य में सरकार गठन के लिए भारतीय जनता पार्टी को अपने समर्थन का ऐलान किया।
कांग्रेस ने खुद के सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद गोवा के राज्यपाल द्वारा राज्य में भाजपा नीत गठबंधन को सरकार बनाने के लिए पहले ही आमंत्रित करने का मुद्दा लोकसभा में उठाने का प्रयास किया और इस बारे में बोलने की अनुमति नहीं दिए जाने पर आज दो बार सदन से वाकआउट किया।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गोवा और मणिपुर में सरकार बनाने के भाजपा के कदम को गलत करार देते हुए पार्टी पर धनबल के जरिए जनादेश का हरण करने और लोकतंत्र को कमजोर करने का आज आरोप लगाया। राहुल ने गोवा की राज्यपाल पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया।
मणिपुर के मुख्यमंत्राी ओ इबोबी सिंह ने राज्य में नयी सरकार के गठन की प्रक्रिया का रास्ता बनाने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हाल ही राज्य विधानसभा के लिए हुए चुनाव में किसी भी पाटीर्टी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है।
पांच राज्यों के चुनाव नतीजों वाले दिन सारा फोकस तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड पर ही केंद्रित रहा जहां भाजपा की दो और कांग्रेस की एक राज्य में जोरदार वापसी हुई है। इस गहमागहमी ने दो छोटे राज्यों पर लोगों का ध्यान नहीं गया जहां जनता ने किसी को भी साफ बहुमत नहीं दिया। भाजपा ने पूर्वोत्तर से कांग्रेस को साफ करने के अपने अभियान के तहत इस बार मणिपुर में पूरा जोर लगाया था और उसे 60 में से 21 सीटें भी मिली मगर पार्टी बहुमत से 10 सीटें दूर रह गई। दूसरी ओर राज्य में लगातार जीत रही कांग्रेस पार्टी भी 28 सीटें जीतकर बहुमत से तीन सीटें दूर खड़ी है। खास बात यह है कि यहां सत्ता की चाबी तीन छोटे दलों और निर्दलीयों के पास है जिन्होंने 11 सीटें जीत ली है। इनमें से चार-चार सीटें नगा पीपुल्स फ्रंट(एनपीएफ) और नेशनलिस्ट पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने जबकि एक-एक सीटें तृणमूल कांग्रेस, लोक जनशक्ति पार्टी और निर्दलीय ने जीती है।