साधरण कद-काठी, साधारण चेहरा-मोहरा। सांवली रंगत लेकिन जन्मजात सहज अभिनय करने की कुशलता। यह हैं, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश के छोटे से कस्बे बुढाना में जन्में और पले-बढ़े नवाजुद्दीन सिद्दीकी। नवाजुद्दीन किसी बड़े फिल्मी परिवार से नहीं हैं, न ही उनका बॉलीवुड में कोई गॉडफादर रहा। अपने दम पर नाम और शोहरत कमाने वाले नवाजुद्दीन के लिए यह सब बहुत आसान नहीं था। मुजफ्फरनगर में रहते हुए जहां उनके पास मनोरंजन के लिए टीवी नहीं था, उन्होंने लोक कलाकारों के बीच तमाशा, रामलीला देखते हुए अपना बचपन बिताया। नवाजुद्दीन उन्हीं कलाकारों की तरह होना चाहते थे। वैसे ही बनना चाहते थे। पर कैसे यह उन्हें उस वक्त पता नहीं था। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से स्नातक के बाद उन्होंने कई तरह की नौकरियां कीं। यहां तक की चौकीदार की भी। फिर भी अभिनय की भूख थी कि खत्म नहीं हुई थी। विपरीत परिस्थितियों ने उन्हें और मजबूत कर दिया। इसी बीच उन्हें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के बारे में पता चला और बस अभिनय के गुर सीखने वह यहां चले आए। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में रहते हुए उन्होंने कई नाटकों को करीब से जाना। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से कोर्स पूरा करने के बाद दिल्ली में ही उन्होंने कई नाटक किए और फिर वहीं चले आए, जो अभिनय की दुनिया में स्थापित होने के लिए मक्का है, मुंबई।
एक लंबे संघर्ष के बाद खुरदुरे चेहरे वाला यह अभिनेता निर्माता-निर्देशक की पहली पसंद बनता जा रहा है। ब्लैक फ्राइडे, गैंग्स ऑफ वासेपुर, तलाश, बदलापुर, बजरंगी भाईजान के बाद अब सभी की निगाहें उनकी आने वाली फिल्म मांझी- द माउंटेनमैन पर टिकी हुई हैं।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के निधन के साथ देश ने एक महान वैज्ञानिक, दार्शनिक और युवाओं को प्ररेणा से भर देने वाला व्यक्तित्व खो दिया है। उनकी सादगी और विचारों ने देशवासियों पर अमिट छाप छोड़ी है। उनके जीवन से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं हैं, जो जिंदगी के प्रति उनके नजरिए और सोच को जाहिर करते हुए हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी।
देश को मिसाइल और अंतरिक्ष तकनीक के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति डॉ. अबुल पाकिर जैनुलआबेदिन अब्दुल कलाम का 27 जुलाई को 84 वर्ष की उम्र में मेघालय की राजधानी शिलांग में निधन हो गया।
बजरंगी भाईजान फिल्म में पाकिस्तानी पत्रकार चांद नवाब की भूमिका के बाद नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी स्टार हो गए हैं। एक लंबे संघर्ष के बाद फिल्म उद्योग ने उन्हें सितारा हैसियत दे ही दी। लंच बॉक्स, पान सिंह तोमर में उन्होंने दर्शकों को प्रभावित किया था। अब अगले महीने उनकी फिल्म मांझी-द माउंटेनमैन आने वाली है। केतन मेहता की इस फिल्म का सभी को बेसब्री से इंतजार है।
ठंडी हवाएं, हवा में फड़फड़ाते झंडे, पहाड़ों का सौंदर्य और किताबें। एक खूबसूरत जगह पर किताबों या साहित्य के बारे में चर्चा करना कितना सुखद हो सकता है इसके लिए 19 अगस्त से 22 अगस्त के बीच माइउंटेन ईको लिटरेरी फेस्टिवल का हिस्सा बन कर ही इसका अहसास किया जा सकता है।
बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में दरार की आशंकाएं अभी से होने लगी है। भाजपानीत राजग गठबंधन में शामिल रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी लोसपा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम में अभी से दरार नजर आने लगा है।
बिहार विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए जहां चुनौती है वहीं राजद-जदयू के लिए बना अस्तित्व का सवाल। दोनों ही तरफ लामबंदी तेज हो गई है। चुनावी मुद्दे और टीम?ं सज रही हैं, जातियों के इर्द-गिर्द गोटियां बैठाई जा रही हैं। जनता जनार्दन को अपन पक्ष में खींचने की कवायद तेज। बिहार विधानसभा चुनावों में छुपा है देश की भविष्य की राजनीति का राज। अगर नीतीश गठबंधन जीता तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प होंगे और अगर मोदी ने फतह किया, तो उत्तर भारत पर पकड़ होगी मजबूत।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भाजपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। लेकिन भाजपा उन्हें कितनी सीटें देगी, यह अभी तय नहीं है। राजद और जदयू के बीच गठबंधन के बाद एनडीए ने भी अपना कुनबा बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। बिहार चुनाव को लेकर आज भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मांझी के अलावा, उपेंद्र कुशवाह, धर्मेंद्र प्रधान अौर भूपेंद्र यादव से मुलाकात की।
कथित रूप से धोखाधड़ी से डिग्री हासिल करने के आरोप में कल गिरफ्तार किए गए आप नेता जितेंद्र सिंह तोमर को लेकर आज दिल्ली पुलिस मामले में पूछताछ करने के लिए फैजाबाद पहुंची जबकि खुद तोमर ने इन आरोपों को गलत बताते हुए केंद्र सरकार पर उनके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया। उधर, फैजाबाद की अवध यूनिवर्सिटी ने फिर कहा कि तोमर की स्नातक की डिग्री फर्जी है।