सियासी सरगर्मियों के बीच बिहार में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। आईजीआईएमएस पटना ने अपने कर्मचारियों को ये बताने को कहा है कि वो वर्जिन है या नहीं। इस पर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ने भी अपनी सफाई पेश कर दी। वहीं अब इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान प्रशासन ने गुरुवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी है कि तत्काल प्रभाव से अभ्यर्थियों के घोषणापत्र से 'वर्जिन' शब्द को हटा दिया गया है।
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव मुश्किलों में घिर गए हैं। तेजप्रताप के खिलाफ भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने नोटिस जारी किया है। बीपीसीएल ने ये नोटिस ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ के पद) के तहत जारी किया है और उनसे 15 दिनों में जवाब मांगा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक और परेशानी में पड़ गए हैं। सीबीआई ने दिल्ली सचिवालय स्थित स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन के दफ्तर पर गुरुवार को छापा मारा है।
स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का आलम आज भी जस की तस है जबकि उत्तर प्रदेश की सत्ता अखिलेश सरकार से होकर योगी आदित्यनाथ के पास पहुंच चुकी है। इस दौरान सरकार बदलाव के तमाम बड़े दावे करे, लेकिन एक आम आदमी के द्वारा शव को अपने कंधे पर उठाकर ले जाना सभी दावों को ढेर करता दिख रहा है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को मानसिक रुप से अनफिट और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन पर बदतमीज़ी का आरोप लगाने वाली बरखा सिंह को पार्टी ने 6 साल के लिए निकाल दिया है। बरखा सिंह ने गुरुवार को दिल्ली महिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर कहा कि उनकी सरकार गुणवत्तापूर्ण एवं किफायती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही।
विश्व स्वास्थ्य संगठन 7 अप्रैल को ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ मनाता है। ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ के मौके पर अगर हम विभिन्न देशों के विकास, रहन-सहन और सेहत पर कोई टिप्पणी करें तो उसमें हमें मलावी की रंजकहीनता पर जरुर कुछ जानने की जरुरत है। कैसे यह देश रंजकहीनता की त्रासदी झेल रहा है। विकास के ढेकेदार आधुनिकता के लाख दावे कर लें पर अभी भी इस जहां में कितने लोग ऐसे हैं जो एक सामान्य जीवन को पाने को तरस रहे हैं। पिछले कई सालों में देश-विदेश हर जगह कई ऐसी बीमारियों के बारे में सुनने को मिला, जिसका नाम हमने पहले कभी नहीं सुना था जैसे इबोला, चिकनगुनिया, बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू आदि। इन बीमारियों ने देश-विदेश हर जगह लोगों के बीच अपना पांव पसार लिया है। इन बीमारियों से ग्रसित लोगों की परेशानियों और मृत्यु दर के आंकड़ों को देखकर यह अनुमान लगाया गया कि ये रोग कितने घातक साबित हो रहे हैं। ऐसी बीमारियों से पीड़ित लोग इनके बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण या फिर गलत इलाज होने के कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं। ऐसा कहा जाना गलत न होगा कि कुछ देशों की खुशहाली पूरे दुनिया की रौनक नहीं कही जा सकती। आज भी कहीं-कहीं मानव समाज में गरीबी, भूख, कुपोषण का घनघोर अंधेरा व्याप्त है। इसी बानगी में आप मलावी की रंजकहीनता को जानेंगे तो आपको निराशा होगी।