राज्य की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री विद्या ठाकुर ने यहां विधान परिषद में कहा, कुल 43 सरकारी और करीब ।, 100 निजी लेकिन सरकार से सहायता प्राप्त बाल कल्याण गृह हैं।
प्रशांत भूषण को आप की राष्ट्रीय अनुशासन समिति के प्रमुख पद से हटाए जाने के बाद अगला निशाना योगेंद्र यादव बन सकते हैं जिन्हें पार्टी के मुख्य प्रवक्ता पद से हटाया जा सकता है।
सीबीआई ने गुरुवार को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के उपाध्यक्ष (वित्त) के. वी. मोहनन और मुंबई की कानूनी फर्म चितले एंड एसोसिएट्स के राजेन्द्र चितले दस्तावेज लीक मामले में संदिग्ध हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विश्वासमत हासिल कर लिया। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी गुट के विधायकों ने भी विधायकी जाने के डर से नीतीश कुमार का साथ दिया। विश्वासमत प्रस्ताव के पक्ष में 140 वोट पड़े जबकि विरोध में कोई मत नहीं पड़ा।
हिट एंड रन मामले में फिल्म अभिनेता सलमान खान का ड्राइविंग लाइसेंस जब्त नहीं होगाा। वर्ष 2002 के हिट एंड रन मामले में एक सत्र अदालत ने अभियोजन पक्ष के उस आग्रह को खारिज कर दिया है जिसमें मांग की गई थी कि सलमान को ड्राइविंग लाइसेंस जमा करने का निर्देश दिया जाए।
विकास के वादे के साथ सत्ता में आई नई सरकार ने सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों और विधानों पर निर्दयता से धावा बोल दिया है। अक्तूबरए 2014 में यह अफवाह उड़ाई गई कि कुछ जिलों में मनरेगा योजना बंद कर दी जाएगीए हालांकि प्रस्तावित बदलावों को लागू नहीं किया गया। मनरेगा के लिए वित्त की कमी करके और मजदूरी के भुगतान में देरी करके इसको धीरे.धीरे खत्म करने की स्थिति पैदा की जा रही है।
राष्ट्र¬भाषा होने का दावा करने वाली हिंदी के मीडिया से तो इसी राष्ट्र का हिस्सा माना जाने वाला मणिपुर अमूमन गायब ही होता है और उत्तर पूर्व में असम अगर यदा-कदा चर्चा में आता भी है तो बिहारियों, झारखंडियों पर उग्रवादी हमले के कारण या अरूणाचल प्रदेश की चर्चा होती है तो चीनी दावेदारी के हंगामें के कारण। हिंदी के एक्टिविस्ट संपादक प्रभाष जोशी के निधन के बाद की चर्चा में यह प्रसंग जरूर आया कि वह 5 नवंबर को नागरिकों की एक टीम के साथ मणिपुर जाना चाहते थे लेकिन यह टीम मणिपुर की जिन उपरोक्त परिस्थितियों के बारे में एक तथ्यान्वेषण मिशन पर वहां जा रही थी उसका जिक्र ओझल ही रहा। और जिस ऐतिहासिक अवसर पर यह टीम मणिपुर जा रही थी उसका जिक्र तो भला कितना होता? यह ऐतिहासिक अवसर था 37 वर्षीय इरोम शर्मिला के आमरण अनशन के दसवें वर्ष में प्रवेश का। गांधी और नेल्सन मंडेला की जीवनी सिरहाने रखे बंदी परिस्थितियों में इंफाल के एक अस्पताल में अनशनरत अहिंसक वीरांगना के नाक में टयूब के जरिये जबरन तरल भोजन देकर सरकार जिंदा रखे हुए है। अपढ़ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पिता और अपढ़ माता की नौवीं संतान शर्मिला सन 2000 में असम राइफल्स के जवानों पर बागियों की बमबारी के जवाब में सशस्त्र बलों द्वारा एक बस स्टैंड पर 10 निर्दोष नागरिकों को भूने जाने की खबरें अखबारों में पढक़र और तस्वीरें देखकर तथा उन सुरक्षाकर्मियों को सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के कारण सजा की कोई संभावना न जानकर इतना विचलित हुई कि उन्होंने इस तानाशाही कानून के खिलाफ आमरण अनशन का फैसला ले लिया।