मुजफ्फरनगर दंगे के मामले में अदालत में नहीं पेश होने पर एक स्थानीय अदालत ने केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान समेत भाजपा के कई नेताओं के विरुद्ध जमानती वारंट जारी किया।
इस्पात नगर जमशेदपुर में स्थिति सामान्य होने के बाद शनिवार 25 जुलाई को कर्फ्यू हटा लिया गया वहीं दंगा प्रभावित चार थाना क्षेत्रों में सुबह पांच बजे से लेकर शाम आठ बजे तक इसमें ढील दी गई है। एक वरिष्ठ जिला अधिकारी ने बताया कि कहीं से किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है।
दंगा कैसा भी हो कहीं का भी हो उसकी सबसे ज्यादा मार औरतों और बच्चों पर पड़ती है। बीती 25 मई को हरियाणा के गांव अताली में फैली सांप्रदायिक हिंसा में भी ऐसा ही हुआ। इतिहास गवाह है कि दंगों की सबसे कमजोर कड़ी महिलाएं रही हैं। इसे देखते हुए अताली गांव के मुसलमान परिवारों ने 25 मई को हुए पहले हमले के फौरन बाद अपनी बहू-बेटियों महफूज ठिकानों पर भेज दिया। अताली में 4 जुलाई हुए दूसरे हमले में मुसलमान घरों में जवान बहू-बेटियां नहीं थीं।
मैंने मुजफ्फरनगर के सांप्रदायिक दंगों की कवरेज भी की थी। अताली (बल्लभगढ़-हरियाणा) के सांप्रदायिक दंगों और मुजफ्फरनगर के दंगों में बहुत सी समानताएं पाईं लेकिन असमानता है तो सिर्फ एक। वह यह है कि अताली के 150 से ज्यादा गांव छोड़ने वाले मुसलमानों का कहना है, ‘ इसे मुजफ्फरनगर नहीं बनने देंगे, यह अताली है अताली, गांव हमारा था, हमारा है, हम वहां जाएंगे। इंशाल्ला हो सका तो ईद गांव में होगी।’
दस दिनों से बल्लभगढ़ के अटाली गांव में चला आ रहा विवाद अब शांत पड़ चुका है। बल्लभगढ़ में दंगा पीड़ितों के लिए बने शिविर से लोग बसों में बैठकर अपने गांव लौट चुके हैं। जिस धार्मिक स्थल को क्षतिग्रस्त करने को लेकर विवाद था, अब उस पर भी समझौता हो गया है।
दिसंबर 2013 दंगा मामले में देश के 25 आरोपियों में से अंतिम भारतीय की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील और पुलिस के बीच सबूतों को लेकर तीखी बहस हुई और वकील ने एक पुलिस अधिकारी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है।
दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के सिलसिले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ मामले में दायर सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तारीख निर्धारित की।
गुजरात दंगों में पीडितों की आवाज उठाने वाली ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड को परेशान करने की प्रक्रिया जारी है। अब एक और मामले में तीस्ता को घेरने की कोशिश की जा रही है। गुजरात की भारतीय जनता पार्टी सरकार तीस्ता की धुर विरोधी रही है। तीस्ता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी कट्टर आलोचक रही हैं। यही वजह है कि उन्हें एक के बाद दूसरे मामले में फंसाया जा रहा है।
ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड को सुप्रीम कोर्ट ने एक और राहत दी है। कोर्ट ने गुजरात पुलिस को निर्देश दिया है कि उसने तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद पर जो भी आरोप लगाये हैं उसके दस्तावेज़ों की सूची वह उनसे साझा करे। तीस्ता पर 2002 के दंगों मे तबाह अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी के संग्रहालय के लिए एकत्रित धन के गबन का आरोप लगाया गया है।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह बेंगलूरु में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाया कि वह सहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की बातें करके कांग्रेस की जगह लेने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा कि क्या किसी का स्वभाव बदल सकता है?