चुनाव में धनबल के बढ़ते प्रभाव पर विभिन्न वर्गों की चिंताओं के बीच 2016 में असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में सम्पन्न हुए चुनाव के दौरान कानून अनुपालन एजेंसियों ने 1.25 अरब रूपये से अधिक धनराशि जब्त की।
नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार को लगता है कि बैंकों के पास जो पैसा आया है, शायद उनकी गिनती ठीक से नहीं हुई है। बैंकों के पास बंद हो चुके 13 लाख करोड़ रुपये के नोट आ चुके हैं। इस तरह से जितनी मुद्रा को निरस्त किया गया था, वह पूरी रकम उन्हें मिल चुकी है। जबकि पुराने नोटों को जमा कराने की अंतिम तारीख 30 दिसंबर है। सरकार ने रिजर्व बैंक और बैंकों से जमा कराए गए नोटों को फिर से जांचने को कहा है।
नोटबंदी को एक माह से भी अधिक का समय हो गया है लेकिन नागरिकों को नकदी की आपूर्ति अभी तक सही ढंग से नहीं हो रही है। इसके अलावा कहीं-कहीं दबंग बिना लाइन मेंं लगे बैंक से नकदी लेने पर आमादा हैं। रकम नहीं मिलने से लोग अब हिंसक होने लगे हैं। बैंकों से धन ना मिलने से नाराज लोग हमले और तोड़फोड़ करने पर उतारु हो गए हैं।
आयकर विभाग ने बेंगलूरु में एक फ्लैट से 2000 के नए नोटों की गड्डियां, 500 के पुराने नोटों की गड्डियां और 100 के नोटों की कई गड्डियां बरामद की हैं। घर में पैसा मिला है कि पूरा बेड नोटों की गड्डियों से भर गया। इसके अलावा आयकर विभाग ने 2 करोड़ रुपए के करीब 7 किलो सोने के बिस्किट भी बरामद किए हैं।
पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट के चलन से बाहर होने का असर नक्सली गतिविधियों पर भी पड़ सकता है, तथा नक्सलियों के डंप में रखे करोड़ों रुपये के कचरे में बदलने की संभावना है। ऐसे में नक्सली हमले की आशंका को देखते हुए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बैंकों और एटीएम की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
महाराष्ट्र के मंत्री राजकुमार बडोले की टिप्पणी के बाद शिवेसना ने भाजपा पर करारा हमला किया है। शिवसेना ने सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैलियों पर मोटी रकम खर्च नहीं की जाती है। बडोले ने कहा था कि राज्य में आरक्षण पर निकाले जा रहे मराठा मार्च धन बल की वजह से कामयाब हो रहेे हैंं।