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मुस्लिम शायर ने मीरा की पदावलियों का उर्दू में किया अनुवाद, सोशल मीडिया में हुई थी इस काम की आलोचना

मुस्लिम शायर ने मीरा की पदावलियों का उर्दू में किया अनुवाद, सोशल मीडिया में हुई थी इस काम की आलोचना

उत्तर प्रदेश के रहने वाले हाशिम रजा जलालपुरी ने मीराबाई की 209 पदावलियों के 1,510 पदों का उर्दू में अनुवाद...
नवाजुद्दीन के दर्द पर मरहम, दिल्ली की रामलीलाओं में भूमिका की पेशकश

नवाजुद्दीन के दर्द पर मरहम, दिल्ली की रामलीलाओं में भूमिका की पेशकश

अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी के लिए एक अच्छी खबर है। दिल्ली की दो रामलीला समितियों ने नवाजुद्दीन को अपनी रामलीला में भूमिका देने की पेशकश की है। दरअसल अपने शहर मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना की रामलीला में उनके भागे लेने का विरोध किए जाने पर नवाज ने निराश होते हुए कहा था कि रामलीला में अभिनय करना उनके बचपन का सपना है।
फिल्म संस्थान के अध्यक्ष बने रावण

फिल्म संस्थान के अध्यक्ष बने रावण

फिल्म संस्थान पुणे के निदेशक और महाभारत में युधिष्ठर की भूमिका निभाने वाले गजेंद्र चौहान दिल्ली की लव-कुश रामलीला में रावण की भूमिका में नजर आएंगे। ग्रीन रूम में वह अपना मेकअप करवाते हुए ज्यादा बात तो नहीं कर पाए लेकिन इस भूमिका को लेकर वह काफी उत्साहित दिखे। ठेठ पंजाबी भाषा में वे दूसरे कलाकारों का हौसला बढ़ाते नजर आए।
विभाजन के बाद महात्मा गांधी के कारण एस एच रजा ने भारत नहीं छोड़ा था

विभाजन के बाद महात्मा गांधी के कारण एस एच रजा ने भारत नहीं छोड़ा था

देश की आजादी के समय 1947 में हुए विभाजन के बाद परिवार के पाकिस्तान चले जाने के बावजूद मशहूर चित्रकार सैयद हैदर रजा ने भारत में ही रहने का फैसला किया था। उनके इस फैसले के पीछे उनकी मातृभूमि के प्रति वफादारी तो थी ही, लेकिन इसकी एक वजह महात्मा गांधी के प्रति उनका लगाव भी था।
outlookhindi.com पर देखें सैयद हैदर रजा का खास इंटरव्यू

outlookhindi.com पर देखें सैयद हैदर रजा का खास इंटरव्यू

अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त भारतीय चित्रकार सैयद हैदर रजा का शनिवार को निधन हो गया। पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित सैयद हैदर रज़ा उर्फ़ एस.एच. रज़ा का जन्म 22 फ़रवरी 1922 को मध्य प्रदेश के मंडला जिले के बावरिया में हुआ था।
आईएस इस्लाम पर कब्जा नहीं कर सकता - मौलाना महमूद मदनी

आईएस इस्लाम पर कब्जा नहीं कर सकता - मौलाना महमूद मदनी

‘ इस्लाम की खासियत है कि वह कट्टर नहीं हो सकता है। जमीअत-उलमा-ए-हिंद उसी इस्लाम का प्रतिनिधत्व करती है। जो कट्टर है वह इस्लाम नहीं है।‘ दिल्ली में आयोजित ईद मिलन समारोह के दौरान यह बात जमीअत-उलमा-ए-हिंद के सचिव मौलाना महमूद मदनी ने कही। उन्होंने कहा कि पावन रमजान के बाद इनाम का दिन आता है और वह दिन ईद का होता है।
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