मोदी की पंसदीदा स्मार्ट सिटी योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिलने में ही 11 महीने का समय लग गया। इस बीच, केंद्र सरकार ने जेएनएनयूआरएम के दूसरे चरण की योजना से नेहरू का नाम हटा दिया है।
उतर प्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके अशोक यादव पिछड़े वर्ग को मिलने वाले आरक्षण के प्रबल समर्थक हैं। उत्तर प्रदेश में जब राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे तब पिछड़े वर्ग को मिलने वाले आरक्षण में छेड़छाड़ का प्रयास किया था। यादव ने इसके विरोध में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। तबसे आज तक यादव पिछड़े वर्ग के हित की लड़ाई लड़ रहे हैं। यादव कहते हैं कि अगर पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण में फिर छेड़छाड़ हुई तो पूरे देश में आंदोलन होगा। पेश हैं प्रमुख अंश-
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की समय सीमा समाप्त होने से एक दिन पहले सरकार ने इसे फिर से जारी कर दिया। इस अध्यादेश के बदले संबंधित विधेयक को राज्यसभा में विपक्ष के कड़े प्रतिरोध के कारण पारित नहीं करा पाने के कारण सरकार ने अध्यादेश को फिर से जारी किया।
यह आम बात हो गई है कि भारत के राजनीतिज्ञ कठोर राजनीतिक फैसले लेने से कतराते हैं और उन्हें अदालत के भरोसे छोड़ देते हैं। राजनैतिक, कार्यकारी और विधायी जिम्मेदारियों से यह पलायन ही न्यायिक सक्रियतावाद को जन्म देता है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को छुट्टी पर भेजा गया और ठीक उसी समय भू-अधिग्रहण के खिलाफ कांग्रेस जंतर-मंतर पर उतरी, उससे लगता है कि पार्टी में बड़े रद्दो-बदल की तैयारी है। कांग्रेस में सांगठनिक चुनाव सितंबर में होने है लेकिन उसकी तैयारी पहले से दिखाई दे रही है। संसद के भीतर लंबे समय बाद कांग्रेस सांसद सक्रिय नजर आ रहे है। एक तरफ राहुल गांधी भूमि अधिग्रहण के खिलाफ मोर्चा खोलते हैं, वहीं पूर्व मंत्री और गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले जयराम रमेश के इस मुद्दे पर पगड़ी पहनाई गई।
यूपीए सरकार के दौरान पत्रकारों और कॉरपोरेट लॉबी की सांठगांठ का खुलासा वाली घटना के बाद एनडीए सरकार में इस तरह की यह पहली घटना है जिसमें बड़ी-बड़ी कंपनियों, पत्रकारों और नौकरशाहों की संलिप्तता सामने आई है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के एक साल बाद दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने यह खुलासा किया कि सुनंदा ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उनकी हत्या हुई।