रघुराम राजन ने कहा कि कालाधन रखने वालों ने इस फैसले का फायदा उठाते हुए अपना सारा पैसा बैंकों में जमाकर सफेद कर लिया। उन्होंने कहा कि पहले यह पैसा उनकी तिजोरियों में यूं ही पड़ा हुआ था अब उस पैसे पर उन्हें बैंक से ब्याज भी मिलने लगा है।
देश की शीर्ष म्यूचुअल फंड कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों :सीईओ: को कारोबार में वृद्धि के साथ ही वेतन में भी अच्छी खासी वृद्धि दी गई है। कई ऐसे छोटे कोष भी हैं जो घाटे में चल रहे हैं अथवा उनका मुनाफा काफी कम रहा है, लेकिन उनके सीईओ को भी करोड़ों रुपये के वेतन पैकेज दिये गये।
नोटबंदी से लाखों करोड़ रुपये के राजकोषीय तथा कर लाभ के दावों के बीच एक घरेलू ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि सरकार को इस कदम से सिर्फ 72,800 करोड़ रुपये का ही लाभ होने की संभावना है। इनमें 32,800 करोड़ रुपये करों और जुर्माने से मिलेंगे। वहीं 40,000 करोड़ रुपये भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अधिशेष के स्थानांतरण से मिलेंगे।
देश में अरहर दाल की इस बार भरपूर पैदावार होने का दावा करते हुए केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि जो जमाखोर अरहर की दाल इस लालच में जमा किए हुए हैं कि एक बार फिर अरहर के दाम बढ़ेंगे तो वह इस मुगालते में न रहें और अपनी दाल बाजार में निकाल दें, क्योंकि फसल अच्छी होने के कारण इस बार उन्हें कुछ मिलने वाला नहीं है।
आर्थिक उथल-पुथल से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर समन्वित नीतिगत फैसले पर जोर देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि अब वक्त आ गया है कि राजकोषीय नीति का पुनर्आकलन होना चाहिए।
जाने-माने अर्थशास्त्री और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रोफेसर अरुण कुमार देश में मौजूदा आर्थिक हालात को वैश्विक आर्थिक सुस्ती की देन मानते हैं। उनका यह भी मानना है कि हर सरकार राजकोषीय घाटा कम करने के लिए ही चिंतित रहती है और उसी मुताबिक बजट बनाकर किसी लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रहती है। इसे वह गलत धारणा मानते हैं। आउटलुक के राजेश रंजन से बातचीत में उन्होंने रोजगार, घरेलु मांग, विकास दर आदि बढ़ाने पर जोर दिया।
अर्थशास्त्रियों ने बुधवार को सरकार को सुझाव दिया कि मौजूदा कठिन हालात में आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए सरकार को अगले वित्त वर्ष के राजकोषीय घाटे को सीमित करने में ढील देकर सार्वजनिक व्यय बढाने पर विचार कर सकती है।
अभी तक हर मंच पर देश के आर्थिक विकास के बड़े दावे करने वाली सरकार ने अब आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में बड़ी कटौती की है। इसके लिए अब सरकार देश में कमजोर मानसून का हवाला दे रही है हालांकि हाल तक सरकार ये दावा कर रही थी कि कमजोर मानसून से आर्थिक विकास पर बहुत ज्यादा अंतर नहीं पड़ने वाला है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि वह राजकोषीय घाटे को लेकर चिंतित नहीं हैं तथा सातवें वेतन आयोग को लागू करने के लिए अतिरिक्त व्यय की जरूरतों के बावजूद घाटे को सीमित रखने का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा।