लोकसभा में एक केंद्रीय मंत्री को उस समय फटकार लगी जब वह बिना अनुमति के ही एक सदस्य को सलाह देने लगे। ऐसे में पूरा विपक्ष एकजुट हो गया और लोकसभा अध्यक्ष को मंत्री को फटकार लगानी पड़ी।
केंद्र सरकार को झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग के वरिष्ठतम सूचना आयुक्त से कहा है कि वह अपने मुखिया की अनुपस्थिति में मामले पर सुनवाई करें। अदालत ने कहा कि किसी भी तरह का बैकलॉग आरटीआई आवेदकों के हितों को खतरे में डालेगा।
दामिनी कांड के बाद भी महिलाओं से चलती बस में छेड़छाड़ का सिलसिला थमा नहीं है। अब पंजाब में गुंडों से बचाने के लिए मां-बेटी गुहार लगाती रहीं, लेकिन किसी को रहम नहीं आया। कोई मदद के लिए आगे नहीं बढ़ा। आखिरी दम तक जूझने के बाद बस से गिरकर बेटी की मौत, मां बुरी तरह घायल।
नेट न्यूटेलिटी के सवाल पर केंद्र सरकार ने चुप्पी साध रखी है। संसद में इस पर तीखी बहस चलाने की तैयारी में हैं कई सांसद। जल्द ही केंद्रीय सूचना एंव प्रौद्योगिकी त्री रविशंकर प्रसाद को ज्ञापन सौंपने की तैयारी चल रही है। आउटलुक को मिली जानकारी के मुताबिक नेट न्यूट्रेलिटी के सवाल पर कई पार्टियों के सांसद साथ आ रहे हैं। जरूरत पड़ने पर वे प्रधानमंत्री से मिलने की तैयारी में हैं।
राज्यसभा में गुरुवार को एक अनूठा नजारा उस समय देखने को मिला जब सदस्यों ने कार्यकाल समाप्त कर चुके तीन सदस्यों को विदाई दी। राज्यसभा में शायद यह पहली बार हुआ की सदस्यों को कार्यकाल समाप्त होने के बाद विदाई दी गई। उससे भी रोचक नजारा यह रहा कि कार्यकाल समाप्त हो चुके माकपा के ऐसे एक सदस्य पी राजीव को फिर से सदन में वापस लाये जाने की सदन के नेता और नेता प्रतिपक्ष ने एक स्वर में मांग की।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को उस याचिका पर आम आदमी पार्टी (आप) और उसके विधायक रितुराज गोविंद से जवाब मांगा जिसमें उनके खिलाफ कथित तौर पर पार्टी कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय चिन्ह मुद्रित पहचानपत्र जारी करने के आरोप में कार्यवाही की मांग की गई है।
लोगों की याद्दाश्त छोटी होती है यह तो अकसर कहा जाता है मगर इतनी भी छोटी नहीं होती की महज दो वर्ष पहले की बातें भूल जाएं। जाहिर है कि लोग भूले नहीं होंगे कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने 2013 में आईपीएल के कमिश्नर का पद क्यों छोड़ा था।
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पास सीआइडी की जांच को इरादतन नजरंदाज किया गया। पीएमओ को भेजे गए गोपनीय नोट में कहा गया कि सेना बयान दर्ज कराने को तैयार नहीं है। फिर भी इस पर क्यों नहीं पीएमओ ने कार्यवाई की?
दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के सिलसिले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ मामले में दायर सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तारीख निर्धारित की।