मध्य प्रदेश के हरदा इलाके में हुई दोहरी ट्रेन दुर्घटना ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा की पोल खोल दी है। लंबे समय से रेलवे की पटरियों के रख-रखाव, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा के समय ट्रेनों के परिचालन से जुड़े अहम बिंदुओं पर ध्यान देने की मांग उठती रही है, लेकिन रेल मंत्रालय की इस ओर अनदेखी जानलेवा साबित हो रही है।
पश्चिम बंगाल के दक्षिणी जिलों में भारी वर्षा के कारण आम जनजीवन अस्त-व्यस्त है। शनिवार सुबह से यहां पर सड़क से लेकर रेल तक सारी यातायात व्यवस्था ठप है और अधिकांश इलाके बाढ़ की समस्या से ग्रस्त हैं।
सुप्रीम कोर्ट में याकूब मेमन की क्यूरेटिव याचिका रद्द करने और मृत्यु वारंट बहाल रखने के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर और आम गपशप में यह सवाल भी उठया जा रहा है कि कहीं पंजाब के आतंकी हमले से अदालत की राय तो प्रभावित नहीं हुई। हालांकि आमतौर पर माना जाता है कि सुप्रीम कोर्ट हमेशा अपने तर्क और विवेक के आधार पर फैसले देता है।
नर्मदा बचाओ आंदोलन के 30 वर्ष पूरे होने पर धरना देने दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचे नर्मदा आंदोलनकारियों को आशंका है कि सरकार तीन राज्यों के 245 गांवों के 2.5 लाख लोगों की जिंदगियों को ताक पर रख फिर एक बार बांध की ऊंचाई बढ़ा देगी।
राष्ट्रीय सहारा के नोएडा स्थित मुख्यालय पर बारिश के बावजूद छह महीने के बकाया वेतन भुगतान की मांग को लेकर धरना कायम है। इसके चलते शुक्रवार से राष्ट्रीय सहारा अखबार और बाद में टेलीविजन के कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर दिया है।
पुणे स्थित फिल्म प्रशिक्षण संस्थान (एफटीआईआई) के विवाद में बॉलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर भी संस्थान के छात्रों के समर्थन में आ गए हैं। ये छात्र गजेंद्र चौहान को एफटीआईआई का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।
उन लोगों के लिए बुरी खबर है जो बिना सोचे समझे रेल ट्रैक या रेलवे की संपत्ति पर पेशाब या शौच कर देते हैं। अब ऐसा करना भारी पड़ सकता है। खासकर अगर उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में ऐसा किया तो कार्रवाई होना निश्चित है।
प्रफुल्ल बिदवई विलक्षण प्रतिभा के धनी पत्रकार, प्रवक्ता, बुद्धिजीवी और कार्यकर्ता थे। उनका अकस्मात हमारे बीच से चले जाना जनतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और शांति आंदोलनों के लिए एक बड़ा झटका है। आज के विपरीत समय में अपनी बेबाक शैली, सुव्यवस्थित विश्लेषण और दुस्साहस के स्तर तक जोखिम उठाने की क्षमता के चलते वे अनेक युवा और आदर्शवादी पत्रकारों के प्रेरणास्रोत रहे। उनकी वैज्ञानिक और संपूर्ण दृष्टि तथा ऐतिहासिक बोध, उनकी विश्लेषण क्षमता का मूल मंत्र रहा। इसी ने उन्हें हमेशा खास बनाए रखा और जीवनभर उनकी लेखनी की चमक यूं ही बनी रही।
देश में बुलेट ट्रेन चलेगी, स्टेशनों का कायाकल्प होगा, रेलगाडिय़ा समय से चलेगी जैसे अनेक सपने पाले देश का आम नागरिक नरेंद्र मोदी की सरकार से उम्मीद पाले है। सरकार का एक साल पूरा हो गया। उम्मीदों की रेल का सपना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। यात्रियों की बढ़ती संख्या, कंफर्म टिकट को लेकर मारामारी ने आम आदमी के लिए संकट खड़ा कर दिया है। रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा से भारतीय रेल से जुड़े तमाम पहलुओं पर आउटलुक के विशेष संवाददाता ने विस्तार से बात की। पेश है प्रमुख अंश-