राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुस्तान में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति हिंदू है, उनमें कोई मूर्ति पूजा करता है तो कोई नहीं करता। उन्होंने कहा कि यहां का मुसलमान भी राष्ट्रीयता से हिंदू है, वह तो इबादत से मुसलमान है।
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अटॉर्नी जनरल पद के लिए नामित सीनेटर जेफ सेशंस ने अमेरिका में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के विचार का विरोध करते हुये इस बात पर जोर दिया है कि इसे उन लोगों पर केंद्रित किया जाना चाहिए जो किसी ऐसे देश से आते हों, जिसका आतंकवाद का इतिहास रहा है।
चीन ने मुसलमान नागरिकों से चरमपंथ का विरोध करने और चीन की विशेषताओं के साथ समाजवाद से जुड़े रहने को कहा है। दरअसल, चीन ने अपने अशांत मुस्लिम बहुल शिंजियांग प्रांत में कठोर कदमों के साथ सुरक्षा व्यवस्था को सख्त किया है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड और तीन तलाक पर हर दिन टेलीविजन और सोशल मीडिया पर तीखी बहस जारी है। एक तबका तर्क दे रहा है कि तीन तलाक ही मुसलमान औरतों के पिछड़ेपन की वजह है। कुल मिलाकर मुसलमान औरतों के हुकूक के सिलसिले में बहस-मुबाहसे तीन तलाक तक सीमित हो गए हैं। जबकि तरञ्चकी के पायदान पर उनके आखिरी कतार में खड़े होने की असल वजह उनकी कम तालीम है।
उर्दू जबान की तरक्की के लिए फिक्रमंद साहित्यकारों और शिक्षाविदों का मानना है कि इस भाषा को सिर्फ मुसलमानों की जबान के तौर पर पेश कर एक दायरे में सीमित करने की कोशिशें की जा रही हैं जबकि असलियत यह है कि यह पूरे देश में और विभिन्न समुदायों में बोली जाती है और इसके विकास में सभी का अहम योगदान है। इसके अलावा उर्दू और हिंदी छोटी और बड़ी बहने हैं और इनमें आपस में कोई टकराव नहीं है।
‘हम मुस्लिम समुदाय के सामान्य नागरिक, कलाकार,बुद्धिजीवि, लेखक और कवि इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि भारत में मुस्लिम समुदाय विभिन्नताओं , मत-मतांतरों और विषमताओं से भरा है। मुसलमानों का की भी एक संगठन या जन समूह पूरे समुदाय की तरफ से बोलने का दावा नहीं कर सकता है।’ कॉन्सटीट्यूशन क्लब में तीन तलाक, यूनुफॉर्म सिविल कोड और समानता के लिए महिलाओं का संघर्ष विषय पर आयोजित गोष्ठी में यह बात सामने आई। यह गोष्ठी एडवा, अनहद और शिक्षा की ओर से आयोजित की गई थी।
यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर देश के तमाम मुस्लिम संगठन एक मंच पर आ चुके हैं। उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि किसी भी सूरत में यूनिफॉर्म सिविल कोड मंजूर नहीं किया जाएगा। मुस्लिम संगठनों ने यहां तक कहा कि मोदी सरकार से सरहद तो संभल नहीं रही है और वह अंदरूनी जंग के लिए फिजा तैयार कर रही है।
यूपी में अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव से अधिक लोकप्रिय हैं। यह तथ्य मुलायम परिवार में छिड़ घमासान के बाद सी वोटर के सर्वे में सामने आया है। ताजा विवाद के बाद हुए सर्वे के अनुसार अखिलेश उत्तर प्रदेश में अपने पिता के मुकाबले बहुत अधिक लोकप्रिय हैं। सर्वे प्रदेश की 403 सीटों पर लगभग 11 हजार लोगों के बीच किया गया। इसके अनुसार शिवपाल सिंह यादव की लोकप्रियता लोगों के बीच काफी कम है।