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एनएसजी को पठानकोट भेजना गंभीर चूक थी: दिग्विजय

एनएसजी को पठानकोट भेजना गंभीर चूक थी: दिग्विजय

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पठानकोट वायु सेना स्टेशन में हुए आतंकी हमले का जवाब देने में एनएसजी कमांडो के उपयोग को एक गंभीर चूक बताया है। सिंह ने इस फैसले को लेने में अहम भूमिका निभाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पर भी सवाल उठाया है। साथ ही कांग्रेस नेता ने पंजाब पुलिस की कार्यप्रणाली को भी कटघरे में खड़ा किया है।
कहीं कोई आपसी झगड़ा नहीं है: अजीत डोभाल

कहीं कोई आपसी झगड़ा नहीं है: अजीत डोभाल

पठानकोट हमले के बाद आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू होने के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से बात की आउटलुक की इन्वेस्टिगेशन संपादक मीतू जैन ने। पेश हैं अंश:
भारत को जो भी दर्द देगा, उसे वैसा ही दर्द देना चाहिए: पर्रिकर

भारत को जो भी दर्द देगा, उसे वैसा ही दर्द देना चाहिए: पर्रिकर

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सोमवार को एक बयान में कहा है कि जो भी व्यक्ति या संगठन भारत को दर्द देगा, उसे उसी तरह का दर्द देना चाहिए लेकिन यह कैसे, कब और कहां होगा, वह भारत की पसंद के अनुरूप होना चाहिए। रक्षा मंत्री की यह टिप्पणी पठानकोठ आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में सामने आई है।
सेना के 'दिल्‍ली कूच' की खबर को सही बता घिरे मनीष तिवारी

सेना के 'दिल्‍ली कूच' की खबर को सही बता घिरे मनीष तिवारी

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने वर्ष 2012 में सेना की दो टुकड़‍ियों के दिल्‍ली कूच करने की खबर को सच बताकर सियासी विवाद खड़ा कर दिया है। हालांकि, इस मुद्दे पर वह अपनी ही पार्टी में अकेले पड़ते जा रहे हैं।
चिदंबरम ने फिर की आतंकवाद निरोधक केंद्र के गठन की वकालत

चिदंबरम ने फिर की आतंकवाद निरोधक केंद्र के गठन की वकालत

केंद्रीय गृह मंत्री रहते पी चिदंबरम राष्ट्रीय आतंकवाद निरोध केंद्र (एनसीटीसी) का गठन भाजपा के विरोध के कारण नहीं कर पाए थे मगर वे आज भी इसका गठन किए जाने के पक्षधर हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता चिदंबरम का मानना है कि यदि इसका गठन किया गया होता तो पठानकोट हमले जैसी स्थिति से ज्यादा कारगर तरीके से निबटा जा सकता था।
पठानकोट हमले पर राजनीति तेज, कांग्रेस ने उठाए सवाल

पठानकोट हमले पर राजनीति तेज, कांग्रेस ने उठाए सवाल

पठानकोट आतंकवादी हमले को लेकर देश की राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस ने पाकिस्तान मामलों से निपटने में मोदी सरकार की नाकामी पर सवाल उठाए जबकि भाजपा ने पलटवार करते हुए उस पर आरोप लगाया कि वह घटना को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है। वहीं, राजग में शामिल शिवसेना ने मुंहतोड़ जवाब देने की मांग की है।
वायु प्रदूषण के संघर्ष में दिल्ली अकेला शहर नहीं- ग्रीनपीस

वायु प्रदूषण के संघर्ष में दिल्ली अकेला शहर नहीं- ग्रीनपीस

ग्रीनपीस इंडिया ने देश के 17 शहरों के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचनांक (एनएक्यूआई) से पाए आँकड़ों का विश्लेषण प्रकाशित किया है जिससे स्पष्ट होता है कि दिल्ली के अलावा केन्द्र और कई अन्य राज्य सरकारों को भी अपने शहरों में वायु प्रदूषण के रोकथाम पर तुरंत क़दम उठाने होंगे। जिन 17 शहरों में प्रदूषण के आँकड़े उपलब्ध हैं, उनमें से 15 शहरों में प्रदूषण का स्तर हकीकत से कहीं ज्यादा खतरनाक है। सच तो यह है कि अप्रैल से नवबंर के बीच वायु प्रदूषण के जो आंकड़े एकत्रित किए गए थे वे मानक स्तर से 50 फीसदी अधिक है जिससे वायु प्रदूषण आपदा का संकेत मिलता है।
अमेरिकी सेना में सिख सैनिक को दाढ़ी, पगड़ी की छूट

अमेरिकी सेना में सिख सैनिक को दाढ़ी, पगड़ी की छूट

अमेरिकी सेना में लड़ाकू सैनिक के तौर पर तैनात एक सिख जवान को दुर्लभ अपवाद के तहत अस्थायी धार्मिक रियायत मिली है, जिसके तहत उसे दाढ़ी रखने और पगड़ी पहनने की अनुुमति होगी। यह जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट के जरिए मिली है।
प्रदूषण रेड अलर्ट के करीब दिल्ली

प्रदूषण रेड अलर्ट के करीब दिल्ली

वायु प्रदूषण को लेकर चीन की राजधानी बीजिंग में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। वहां स्कूल-कॉलेज, निर्माण कार्य, कारें और बाहरी वाहन बंद है। दिल्ली का वायु प्रदूषण बीजिंग के वायु प्रदूषण के आसपास ही है। दिल्ली सरकार ने भी इस धुंध और धूल (स्मॉग) भरे प्रदूषण से निपटने के लिए कुछ योजनाएं लागू करने का फैसला किया है। जिनमें सबसे अधिक बवाल उस फैसले पर हो रहा है, जिसके तहत सड़कों पर एक दिन सम (ईवन) और दूसरे दिन विषम (ऑड) संख्या वाली कारें चलेंगी।
वायु प्रदूषणः स्वराज अभियान का केजरीवाल को समर्थन

वायु प्रदूषणः स्वराज अभियान का केजरीवाल को समर्थन

स्वराज अभियान के राज्य सचिव राजीव गोदारा का कहना है कि हम सैद्धांतिक रूप से दिल्ली की सड़कों पर निजी वाहनों को कम करने के लिए उठाए गए कदम का स्वागत करते हैं लेकिन दिल्ली में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाना इतना भी आसान नहीं है। स्वराज अभियान के अनुसार इस संबंध में नीतियों में बदलाव के समय ध्यान से सोचा जाना चाहिए। इस योजना की सफलता मजबूत सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर करती है। इसके जरिये सरकार के प्रशासनिक कौशल और राजनीतिक इच्छाशक्ति की असली परीक्षा होगा।
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