अभिनेता विनोद खन्ना के अंतिम संस्कार में आज के पीढ़ी के स्टार नहीं पहुंचे। गुजरे जमाने के कुछ चुनिंदा कलाकारों और निर्माताओं को छोड़कर आज का कोई बड़ा स्टार वर्ली के श्मशान घाट में नहीं दिखा।
खलनायकी से अपना फिल्मी सफर शुरू करने वाले विनोद खन्ना अपनी चिर परिचित मुस्कान और रोबीले चेहरे की वजह से नायक की भूमिका में सिने प्रेमियों को ज्यादा अच्छे लगे। उनका जादू कुर्बानी से लेकर अमर अकबर एंथोनी तक खूब चला।
बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता और राजनेता विनोद खन्ना ने गुरुवार को सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में निधन हो गया। वे 70 वर्ष के थे। उन्होंने बॉलीवुड की करीब 140 फिल्मों में काम किया। गुरदासपुर से 4 बार भाजपा के सांसद रहे। उनके परिवार ने बताया कि शरीर में पानी की कमी होने के कारण विनोद खन्ना पिछले काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे, जिसके कारण उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहां कई डॉक्टरों की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था। वे कैंसर से भी पीड़ित थे।
उनकी अदा में दम था, अदाकारी में दम था फिर ऐसा क्या कम था कि विनोद खन्ना सुपर सितारा का दर्जा हासिल नहीं कर पाए। एक अच्छा अभिनेता क्या इसलिए संन्यासी हो गया या फिर संन्यासी होना इसके स्वभाव में था जो सब त्याग कर अपने करिअर की ऊंचाईयों को छोड़ कर आश्रम चल दिया।
बीसीसीआई के संचालन के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख विनोद राय ने कहा कि क्रिकेट बोर्ड में लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने की प्रक्रिया अगले चार से पांच महीने में पूरी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के संचालन के लिए पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय के नेतृत्व में आज चार सदस्यीय प्रशासनिक समिति नियुक्त की। इस समिति में इतिहासकार रामचंद्र गुहा, आईडीएफसी के अधिकारी विक्रम लिमये, महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान डायना एडुलजी भी शमिल हैं।
मुंबई के उपनगर कुर्ला में एक स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका ने यह आरोप लगाते हुए अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया कि उनकी नवनियुक्त वरिष्ठ के निर्देशों के कारण उनकी धार्मिक भावनाओं के साथ समझौता किया जा रहा है।