ब्रसेल्स हमलों के बाद भड़की मुस्लिम विरोधी भावनाओं के बीच पोप फ्रांसिस ने मुस्लिम, ईसाई एवं हिंदू शरणार्थियों को एक ही ईश्वर की संतान बताते हुए उनके पैर धोए और उन्हें चूमा।
जमीयत उलेमा ए हिंद बुधवार को एक साथ देश के सभी प्रमुख शहरों में आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन करेगी। जमीयत उलेमा ए हिंद ने पेरिस में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए आज कहा, इस्लाम में क्रिया की प्रतिक्रिया की कोई जगह नहीं है और इस्लाम के नाम पर मासूमों की हत्याएं करना, इस्लाम के नाम का दुरूपयोग करना है।
बर्मा से आई तीस साल की तस्लीमा यह नहीं जानती कि उसका बेटा किस तारीख को पैदा हुआ। हालांकि वह यह जानती है कि बेटा 18 या 20 दिन का हो चुका है। सफदरजंग अस्पताल से कोई पर्ची नहीं मिली। अस्पताल प्रशासन का कहना था कि तस्लीमा दूसरे देश की रहने वाली है इसलिए उसे बच्चे का प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता। दो साल पहले वह अपने वतन बर्मा से बांग्लादेश होती हुई दिल्ली पहुंची। मात्र तीस साल की उम्र में चार बच्चों की मां बन चुकी तस्लीमा अपने पति और बच्चों के साथ किसी तरह जान बचाकर भारत आ तो गई लेकिन यहां जिन हालातों में जी रही है वह जीते जागते मरने जैसे हैं।
तुर्की तट पर मृत मिले आयलान कुर्दी नाम के सीरियाई बच्चे की तस्वीरों ने शरणार्थियों के प्रति यूरोप के नजरिये को बदल डाला है। जर्मनी, ऑस्ट्रिया और ब्रिटेन जैसे देश अब अपने दरवाजे शरणार्थियों के लिए खोलने में उदारता दिखा रहे हैं। जर्मनी में शरणार्थियों का गर्मजोशी से स्वागत किया जा रहा है।
शरणार्थी संकट पर अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दबाव के बीच ब्रिटिश सरकार ने 15,000 सीरियाई शरणार्थियों को स्वीकार करने का फैसला किया है। उधर, आॅस्ट्रिया और जर्मनी भी हंगरी सीमा पर पहुंचने वाले हजारों प्रवासियों को शरण देने के लिए तैयार हो गए हैं।
तुर्की जलक्षेत्र में डूबे सीरियाई बच्चे की भयावह तस्वीरों ने पूरी दुनिया में लोगों की संवेदनाओं को झकझोर दिया है। तट पर मृत पड़े मिले तीन वर्षीय आयलान कुर्दी की तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल होने के साथ ही यूरोप में शरणार्थी संकट पर बहस तेज छिड़ गई है। दुनिया भर में इस संकट की चर्चा हो रही है। यह बच्चा अपने परिवार के साथ नौका में सवार होकर यूनान जा रहा था लेकिन नौका बीच में ही डूब गई। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से यह अब तक का सबसे भीषण शरणार्थी संकट बताया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर में नई सरकार ने कश्मीरी पंडितों की सुध लेनी शुरू कर दी है। हालांकि अभी यह मुंहजुबानी और कागजी स्तर पर है। प्रधानमंत्री पैकेज के तहत जम्मू-कश्मीर सरकार ने कश्मीरी पंडितों के लिए 3,000 पदों को मंजूरी दी है।