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'गणतंत्र देश किसी भी शासक-तानाशाह की सनक को स्वीकार नहीं करेगा'

'गणतंत्र देश किसी भी शासक-तानाशाह की सनक को स्वीकार नहीं करेगा'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर परोक्ष रूप से प्रहार करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि भारत 26 जनवरी, 1950 को गणतंत्र बना जिसका मतलब है कि वह किसी भी शासक या तानाशाह की सनक को स्वीकार नहीं करेगा।
29 साल की बहन के लिए इस तानाशाह ने रचाया स्‍वयंबर

29 साल की बहन के लिए इस तानाशाह ने रचाया स्‍वयंबर

उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किम जोंग ने अपनी 29 साल की बहन के लिए स्‍वयंबर रचाया है। इस तरह बहन की शादी के लिए भी उन्होंने अपना तानशाही रवैया अपनाया है। किमजोंग ने दूल्हा तलाशने के लिए डेटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया है। जहां स्वयं की शर्तों पर वर की तलाश करने का आदेश दिया गया है।
मुशर्रफ पर देशद्राेह का आरोप, अदालत ने भगोड़ा घोषित किया

मुशर्रफ पर देशद्राेह का आरोप, अदालत ने भगोड़ा घोषित किया

पाकिस्तान के पूर्व राष्‍ट्रपति और सैन्‍य शासक परवेज मुशर्रफ को देशद्राेह के आरोप में एक विषेश अदालत ने भगोड़ा घोषित किया है। मुशर्रफ को कोर्ट के सामने पेश होने के लिए कई समन जारी किए गए थे लेकिन वह कोर्ट में अब तक पेश नहीं हुए। कोर्ट ने अधिकारियों को सख्‍त निर्देश दिया है कि 30 दिन के अंदर परवेज मुशर्रफ को कोर्ट के सामने हर हाल में पेश किया जाए।
मोदी तानाशाह शासक हैं

मोदी तानाशाह शासक हैं

नरेंद्र गिरि, सचिव निरंजनी अखाड़ा, अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने आउटलुक के साथ सिंहस्थ और इसके बहाने राष्ट्रीय राजनीति पर बहुत सारी बातें कीं।
'मोदी, अशोक के बाद दूसरे बड़े शासक’ - प्रो. लोकेश चंद्र

'मोदी, अशोक के बाद दूसरे बड़े शासक’ - प्रो. लोकेश चंद्र

प्रोफेसर लोकेश चंद्र शास्त्रीय यूनानी, लैटिन, चीनी, जापानी, पारसियों की अवेस्ता, पुरानी फारसी और सांस्कृतिक महत्व की अन्य भाषाओं के ज्ञाता हैं। वह संस्कृत, पालि और प्राकृत भाषा के विद्वान हैं। उनके नाम 596 कार्य और पाठ संस्करण हैं। उनमें से तिब्बती-संस्कृत शब्दकोश, तिब्बती साहित्य के इतिहास के लिए सामग्री, तिब्बत का बौद्ध प्रतिमा विज्ञान और 15 खंडों में बौद्ध कला का उनका शब्दकोश जैसी कालजयी कृतियां हैं। उन्होंने बुद्ध और शिव तथा भारत एवं जापान के बीच सांस्कृतिक संगम पर भी लिखा है। फिलहाल वह भारत और चीन के बीच पिछले दो हजार वर्षों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर लिख रहे हैं। लाहौर में पंजाब विश्वविद्यालय से सन 1947 में स्नातकोत्तर करने वाले प्रोफेसर चंद्र भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् के अध्यक्ष हैं। साथ ही वह भारतीय संस्कृति की अंतरराष्ट्रीय अकादमी, एशियाई संस्कृतियों के लिए एक प्रमुख अनुसंधान संस्था के मानद निदेशक हैं। वह सन 1974 से 1980 और 1980 से 1986 तक दो अवधियों में लिए राज्यसभा से संसद सदस्य भी रह चुके हैं। प्रोफेसर चंद्र ने आउटलुक की सहायक संपादक आकांक्षा पारे काशिव से देश और प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं पर बात की।
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