नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर जारी सियासी हलचल के बीच एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) ने आने वाले 21 जनवरी को लखनऊ में अपने शेयरधारकों की आम सभा बुलाई है। एजेएल ने यह बैठक कंपनी के स्वरूप को व्यवसायिक से गैर-लाभकारी में तब्दील करने पर शेयरधारकों की रजामंदी हासिल करने के उद्देश्य से बुलाई की है।
असहिष्णुता को लेकर छिड़ी बहस के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अत्याचार की किसी भी घटना को समाज के लिए कलंक बताते हुए आज कहा कि देश के 125 करोड़ लोगों में से किसी की भी देशभक्ति पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता है और न ही किसी को हर समय अपनी देशभक्ति का सबूत देने की आवश्यकता है।
सात साल पहले मुंबई में 26 नवंबर के दिन भीषण आतंकी हमलों को आज पूरा देश याद कर रहा है। इस मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कई अन्य हस्तियों ने दक्षिण मुंबई में पुलिस जिमखाना स्थित 26/11 पुलिस स्मारक जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। हाल में पेरिस पर हुए 26/11 जैसे आतंकी हमले के बाद पूरी दुनिया में आतंकवाद को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ी है।
विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता अशोक सिंघल का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। सोशल मीडिया पर उन्हें और शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे को एक साथ याद किया गया। गौरतलब है कि आज ही के दिन बाल ठाकरे का भी मुंबई में निधन हो गया था। ट्विटर के जरिये अशोक सिंघल को भाजपा नेताओं ने श्रद्धांजलि दी-
गाय को पवित्र कब से माना गया और क्यों माना गया, यह व्यापक विवाद और विमर्श का विषय है। इस बात पर भी भयंकर मतभेद है कि प्राचीन सभ्यताएं गोमांस को स्वीकृति देती थीं और भारत के आदिकालीन निवासी अपने खान-पान में उसे शामिल करते थे। आर्ष ग्रंथों में आई उन बातों को भी अब कोई नहीं सुनता है कि किसी जमाने में गौमेध यज्ञ भी हुआ करते थे। अब जब गाय को पवित्र मान कर उसे मां का दर्जा दे ही दिया गया है और उसे आस्था की वस्तु बनाकर आलोचना से परे रख दिया गया है तो उस पर बहस की कोई गुंजाईश रही ही कहां है। अब तो ‘वन्दे धेनुमातरम‘ और ‘जय गोमाता‘ कहो, गोकथा कराओ, गोदूध महोत्सव मनाओ, गोशाला चलाओ, गोमंदिर बनाओ, गोकुल धाम निर्मित करो और गोअनुसंधान एवं गोरक्षा के नाम पर तरह-तरह के संगठन और सेनाएं बनाकर जमकर हंगामा मचाओ। आज गाय के नाम पर सब कुछ जायज है क्योंकि गाय हमारी माता है, गाय की रक्षा करना हमारा धर्म है, यह पुण्य का काम है।
संगीत सरहदें नहीं जानती, जाति, धर्म और बंटवारा नहीं मानती। पत्तों-पत्तों, हवाओं के रेशों-रेशों, बादलों के रुनझुन सी बूंदों में, हर रंगों की झलकियों में प्रतिपल ध्वनियां प्रवाहित होती हैं।