राज्यसभा में अपनी सदस्यता के आखिरी दिन बतौर मनोनीत सदस्य कवि और लेखक जावेद अख्तर भारत माता के जयकारे के साथ छा गए। दरअसल, एमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के उस बयान पर उन्होंने निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि संविधान अगर भारत माता की जय बोलने के लिए नहीं कहता तो शेरवानी पहनने के लिए भी नहीं कहता।
एक नामी व्यापारिक समूह के युवा प्रबंध निदेशक ने अनौपचारिक बातचीत में मुझसे कहा था-‘कंपनी के कार्यकारी निदेशक रिश्ते में हमारे ताऊजी हैं और मैं पैर छूकर उनका अभिवादन करता हूं, लेकिन अब कामकाज के मामले उनकी बातें और पारंपरिक नीतियां मुझे कतई स्वीकार नहीं हैं।’ मेरी नजर में यह रवैया पाखंड ही कहा जाना चाहिए।
श्रीश्री रविशंकर की संस्था की ओर से 11 मार्च से आयोजित होने वाला विश्व सांस्कृतिक समारोह भले ही विवादों के केंद्र में आ गया हो लेकिन यमुना नदी के डूब क्षेत्र में इस भव्य कार्यक्रम के लिए मंच पूरी तरह सज चुका है। इस बीच रविशंकर ने ट्वीट कर कहा है कि राष्टीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की ओर से लगाए गए पांच करोड़ रुपये का जुर्माना वह अदा नहीं करेंगे चाहे उन्हें जेल ही क्यों न जाना पड़े।
यमुना के जल ग्रहण क्षेत्र में आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर के आर्ट आॅफ लिविंग द्वारा शुक्रवार से आयोजित होने वाले तीन दिवसीय संस्कृति महोत्सव के आयोजन को लेकर पर्यावरण संबंधी चिंताओं के चलते कुछ विवाद उत्पन्न होने के बाद अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसमें हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से नियुक्त समिति ने यमुना के किनारे आगामी कार्यक्रम से होने वाले संभावित नुकसान के लिए श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन पर 120 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की है। आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने 11 से 13 मार्च तक यमुना किनार कार्यक्रम करने की योजना बनाई है।
विपक्षी दलों ने आज राज्यसभा में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी से सदन के बाहर देवी-देवता के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों को सदन में पढ़ने के लिए उनसे माफी मांगने को कहा जबकि स्मृति ने अपना बचाव करते हुए कहा कि उनसे जेएनयू छात्रों के खिलाफ उनके बयानों के बारे में प्रमाण देने को कहा गया था।
जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की मां ने अपील करते हुए कहा, कृपया मेरे बेटे को आतंकवादी मत कहिए। कन्हैया की मां मीना देवी एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं और साढ़े तीन हजार रूपये प्रति माह कमाती हैं।
यह लेखिका की पहली किताब है और इस किताब से पहले इसका शीर्षक पास खींचता है। यह भले ही पहली किताब हो लेकिन कहीं कोई कच्चापन नहीं है। अनुभव के की आंच पर पकी यह पुस्तक पठनीय है।