‘ संसद एक मरकज अदारा है लेकिन वहां बैठे लोग नफरत उगल रहे हैं। खासकर मुस्लिम अकिलियत के खिलाफ। साल भर से आग उगलने का यह सिलसिला जारी है और सरकार मुंह में बताशा डालकर बैठी है। इसका मतलब समझा सकता है। लेकिन इस देश में धर्मनिरपेक्षता का दस्तूर जारी रखने के लिए हम मैदान में आए हैं। इसके लिए 12 मार्च को दिल्ली में लगभग 40,000 हिंदू, मुसलमान, दलित और ईसाई धर्म के लोग इक्ट्ठा होकर अमन का पैगाम देंगे।‘ यह कहना है जमीअत-उलमा-ए-हिंद के सदर मौलाना सईद अरशद मदनी का।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को अमल में लाने के लिए 2016-17 के बजट में 70,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।
संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित देश के महिला जनप्रतिनिधियों का दो दिवसीय सम्मेलन आज समाप्त हो गया। समापन समारोह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह कहना कि पुरुष महिलाओं को सशक्त कर सकते हैं हास्यास्पद है।
सरकार ने आम बजट 2016 में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) से निकासी पर टैक्स लगाने के विवादास्पद प्रस्ताव पर कदम पीछे खींचने का मन बना लिया है। सरकार ने इसे वापस लेने पर मंगलवार को विचार करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रस्ताव वापसी का संकेत दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने भाषण में कांग्रेस नेतृत्व पर करारा हमला किया। राहुल गांधी की ओर से बुधवार को खुद पर किए गए प्रहारों का करारा जवाब पीएम मोदी ने राजीव गांधी, इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के उद्धरणों का इस्तेमाल करते हुए दिया।
हर महीने थोड़ा-थोड़ा करके जो पैसा आप अपने बुढ़ापे के लिए बचाते हैं उस भविष्य निधि के पैसे पर टैक्स लगाने की मोदी सरकार की घोषणा ने देश के वेतनभोगी तबके को नाराजगी से भर दिया है। इस नाराजगी को देखते हुए केंद्र सरकार अब इस फैसले से पीछे हटने की राह तलाश रही है।
जाने-माने अर्थशास्त्री और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रोफेसर अरुण कुमार देश में मौजूदा आर्थिक हालात को वैश्विक आर्थिक सुस्ती की देन मानते हैं। उनका यह भी मानना है कि हर सरकार राजकोषीय घाटा कम करने के लिए ही चिंतित रहती है और उसी मुताबिक बजट बनाकर किसी लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रहती है। इसे वह गलत धारणा मानते हैं। आउटलुक के राजेश रंजन से बातचीत में उन्होंने रोजगार, घरेलु मांग, विकास दर आदि बढ़ाने पर जोर दिया।