लिपस्टिक अंडर माय बुर्का की चर्चा लंबे समय से थी। इसमें फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी का भी बहुत बड़ा हाथ रहा है। उन्होंने इस फिल्म में इतने कट सुझाए थे कि फिल्म की रील छलनी की तरह ही निकल कर आती।
एक लड़का था बरेली का, कम उम्र में मां को खो दिया। मां का जाना,पिता से बर्दाश्त न हुआ तो पिता ने अपना मनसिक सन्तुलन खो दिया। फिर कुछ ही दिनों में ननिहाल, बिजनौर (उत्तर प्रदेश) चला आया।
पेड न्यूज़ मामले में चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य ठहराए गए एमपी के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अयोग्यता के फैसले पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अब मिश्रा 17 जुलाई को होने वाली राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।
मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री नरोत्तम मिश्रा की याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को सौंप दी है। हाईकोर्ट गुरुवार से इस पर सुनवाई करेगा। चुनाव आयोग ने नरोत्तम मिश्रा को आगामी तीन साल के तक चुनाव लड़ने से आयोग्य ठहरा दिया था जिस पर उन्होने अपील की है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई राष्ट्रपति चुनाव से पहले पूरी कर लेने को कहा है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ द्वारा चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर मांगे गए जवाब का प्रदेश के जनसम्पर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने स्वागत किया है।
पेड न्यूज़ मामले में चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा तीन साल तक अयोग्य ठहराए गए मध्य प्रदेश के जनसम्पर्क एवं जलसंसाधन मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 5 जुलाई की तारीख तय की है।
मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री और शिवराज सिंह चौहान के भरोसेमंद सहयोगी नरोत्तम मिश्रा के पेड न्यूज मामले में घिरने के बाद से ही प्रदेश भाजपा में घमासान मचा हुआ है।
चुनाव आयोग (ईसी) ने मध्य प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री नरोत्तम मिश्रा को तीन साल तक अयोग्य घोषित कर दिया है। आयोग ने 2008 के विधानसभा चुनाव में मिश्रा पर लगे पेड न्यूज के मामले में यह फैसला सुनाया गया।
राष्ट्रपति चुनाव में सत्तादल द्वारा रामनाथ कोविंद के उम्मीदवार बनाये जाने से जहां एक ओर एकजुट होते विपक्ष में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है, वहीं वाम मोर्चा की ओर से प्रकाश अंबेकर का नाम आगे आया है। मोर्चा ने बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के पोते और पूर्व सांसद प्रकाश के नाम पर अन्य विपक्षी दलों की सहमति लेने की कवायद शुरू कर दी है।