दक्षिण एशिया के सात देशों ने भारत की ओर से अपने पड़ोसियों के लिए उपहार के तौर पर छोड़े गए 450 करोड़ रूपये के संचार उपग्रह की खूब सराहना की है। इन देशों के बीच एक अभूतपूर्व अंतरिक्षीय संबंध की बानगी देखने को मिली।
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तंज कसते हुए उनसे सवाल किया कि क्या नोटबंदी के उनके फैसले से वांछित परिणाम हासिल हुए हैं। तमिलनाडु के आरके नगर विधानसभा उप चुनाव में वोट के लिए पैसे बांटे जाने के बाद चुनाव आयोग ने वहां का चुनाव रद्द कर दिया है।
प्रवर्तन निदेशालय ने पुलिस की छापेमारी में राजधानी के एक लाॅ फर्म से 13.6 करोड़ रुपये की जब्ती के बाद धनशोधन से जुड़े मामले की जांच के सिलसिले में विवादित वकील रोहित टंडन को गिरफ्तार कर लिया है। टंडन ने 70 करोड़ रुपए के कालेधन को सफेद करने में सहयोग किया था।
गुजरात में सूरत के अरबपति चाय बेचने वाले भजियावालाके बारे में सीबीआई ने खुलासा किया है। सीबीआई ने कहा कि नोटबंदी के बाद किशोर भजियावाला ने कालेधन को सफेद करने के लिए 700 लोगों का इस्तेमाल किया था।
आयकर विभाग की टीम ने भाजपा के नेता और महानगर कोऑपरेटिव बैंक के संस्थापक अध्यक्ष सुशील वासवानी के 8 ठिकानों पर छापे मारे। आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक सुशील वासवानी और उनका परिवार महानगर बैंक के जरिए ब्लैक मनी को वाइट करने का काम कर रहा था।
नोट बंदी लागू होने के बाद विभिन्न हिस्सों में काले धन को सफेद करने में बैंकों व बैंककर्मियों की भूमिका संदिग्ध है। यूं कहा जाए कि पीएम नरेंद्र मोदी के इस कदम के बाद देश के बैंकिंग ढांचे की कलई खुल गई है। तीन वर्ष पहले एक वेबसाइट की तरफ से निजी व सरकारी बैंकों में काले धन को सफेद करने के गोरखधंधे का जो खुलासा हुआ था वह बदस्तूर जारी है। इस बीच आरबीआइ ने नियमों में कड़ाई बरती है। बैंकों पर जुर्माना लगाया लेकिन इन्हें नजर अंदाज करने वालों पर कोई लगाम नहीं लग पाया है।
नोटबंदी के तुरंत बाद गोल्ड इंपोर्ट के जरिए कालाधन को सफेद करने की खबर आ रही है। स्वर्ण आयात के अनुमान भी इशारा कर रहे हैं कि इस व्यापार से जुड़ी कुछ इकाइयों ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर लोगों को अपना कालाधन गोल्ड बार और जूलरी में बदलने में मदद की है।
देश में 1900 राजनैतिक दल हैं। इन पार्टियों में से करीब 400 पार्टियों ने कभी चुनाव नहीं लड़ा। इसका मीडिया में यही मतलब निकाला जा रहा है कि इन पार्टियों के गठन का लक्ष्य कहीं कालेधन को सफेद करना ही तो नहीं था। इस तस्वीर के बाद दार्शनिक अंदाज में यह भी कहा जा सकता है कि भारतीयों के जीवन में 'राजनीति' बहुत गहराई तक शामिल है।