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राजेंद्र राव की कहानी 'दोपहर का भोजन'

राजेंद्र राव की कहानी 'दोपहर का भोजन'

राजेंद्र राव शिक्षा और पेशे से भले ही इंजीनियर रहे हों, मगर उनका मन सदैव साहित्य और पत्रकारिता में ही रमा रहा । तकनीकी और प्रबंधन के क्षेत्र में काफी समय बिताने के बाद अवसर मिलते ही साहित्यिक पत्रकारिता में आ गए। कृतियों में एक उपन्यास, सात कथा संकलन और कथेतर गद्य के बहुचर्चित संकलन उस रहगुजर की तलाश है । संप्रति दैनिक जागरण में साहित्य संपादक।
मनमोहन ने लौटाया हरियाणा साहित्य अकादमी का सम्मान

मनमोहन ने लौटाया हरियाणा साहित्य अकादमी का सम्मान

देश में लेखकों पर बढ़ते हमले और असहमति की आवाजों को दबाने के विरोध में हिंदी के वरिष्ठ कवि-चिंतक मनमोहन ने हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से मिला सम्मान लौटा दिया है। उन्होंने सम्मान के साथ मिली 1 लाख रुपये की राशि भी अकादमी को वापसभेज दी है।
पुरस्‍कार लौटाने वाले साहित्यकारों के पक्ष में आए नीतीश

पुरस्‍कार लौटाने वाले साहित्यकारों के पक्ष में आए नीतीश

नीतीश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ट्वीट के जरिए निशाना साधते हुए कहा कि मोदी साहित्यकारों के गुस्से को समझने के बजाय, उनमें ही जिस तरह से दोष निकाल रहे हैं, वह चिंताजनक है
सेकुलर ग्रंथि पीड़‍ित कलमकारों ने लौटाए हैं पुरस्कार: संघ

सेकुलर ग्रंथि पीड़‍ित कलमकारों ने लौटाए हैं पुरस्कार: संघ

उदय प्रकाश, अशोक वाजपेयी और नयनतारा सहगल सहित 21 लेखकों द्वारा साहित्यिक सम्मान लौटाने की घोषणा पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हिन्दू धर्म को विकृत करने और भारत को नष्ट करने के प्रयासों में सेकुलर ग्रंथि से पीड़ित कुछ असहिष्णु कलमकारों ने अपने तमगे लौटा दिए हैं।
पातर, डबराल व जोशी ने लौटाए पुरस्कार, सिलसिला जारी

पातर, डबराल व जोशी ने लौटाए पुरस्कार, सिलसिला जारी

आजादी पर हमले के विरोध में साहित्यकारों का लगातार साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाना जारी है। यह सिलसिला पंजाब में भी शुरू हो चुका है। गुरुबचन भुल्लर, अजमेर सिंह औलख, आत्मजीत सिंह और कैनेडा में रह रहे वरियाम संधू पहले ही साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का ऐलान कर चुके हैं।
लोकतंत्र का तकाजा है कि लेखक आवाज उठाएं

लोकतंत्र का तकाजा है कि लेखक आवाज उठाएं

पिछले कई वर्षों से हमारे देश में जो होता रहा है उसने सृजन-समुदाय को लगातार बेचैन किया हैः अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सांस्कृतिक और धार्मिक बहुलता, सामाजिक समरसता पर संगठित प्रहार बहुत बढ़ गए हैं। राजनीति, धर्म और बाजार ने मिलकर, अपनी सभी मर्यादाएं छोड़कर, बेहद व्याप्ति अर्जित कर ली है। असहमति की जगह और अवसर सिकुड़ रहे हैं और पचास से अधिक वर्षों के परिपक्व लोकतंत्र में असहमति को देशद्रोही करार दिया जा रहा है।
प्रतिरोध बढ़ा, सारा जोसेफ ने भी लौटाया साहित्य अकादमी

प्रतिरोध बढ़ा, सारा जोसेफ ने भी लौटाया साहित्य अकादमी

देश में सांपद्रायिक हिंसा की बढ़ती घटनाओं से आहत होकर अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकारों की सूची में मलयाली लेखिका सारा जोसेफ का नाम भी जुड़ गया है। जोसेफ को वर्ष 2003 में उनकी रचना अलहयूद पेनमक्कल के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था।
साहित्य का नोबेल श्वेतलाना एलेक्सिविच को

साहित्य का नोबेल श्वेतलाना एलेक्सिविच को

वर्ष 2015 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार बेलारूस की लेखिका श्वेतलाना एले‌क्सिविच को देने की घोषणा की गई है। हमारे वक्त में अपने बहुस्वरीय लेखन के जरिये व्यथा एवं साहस को ध्वनित करने के लिए उन्हें यह सम्मान दिया जाएगा।
नयनतारा के पक्ष में बोले अख्तर

नयनतारा के पक्ष में बोले अख्तर

मशहूर कवि और गीतकार और राज्यसभा सांसद जावेद अख्तर ने कहा कि हाल में हुई असहिष्णुता की घटनाओं की भारत से उम्मीद नहीं की जा जाती।
अब अशोक वाजपेयी ने लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार

अब अशोक वाजपेयी ने लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार

देश में लगातार बढ़ रही सांप्रदायिक घटनाओं के विरोध में प्रसिद्ध लेखिका नयनतारा सहगल के बाद हिंदी के जाने-माने साहित्‍यकार अशोक वाजपेयी ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। इससे पहले उदय प्रकाश भी कन्‍नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्‍या के विरोध में यह पुरस्‍कार लौटा चुके हैं।
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